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Monday, 29 July 2019

कला को कोई चुरा नहीं सकता

#BrajbhashaPradesh
#ब्रजभाषा

*ब्रजभाषा में एक वाक्या-*   

     एक चिरैया नै 'मुहार की मांखी' ते पूछी कै तुम इतेक परिश्रम ते शहद बनामतौ और आदमी बाय आयकैं शहद के छत्ता कूँ तोड़कैं लै जाँतौ है, तुम्हें बुरौ नाँय लगै काह? 'मुहार की माँखी' ने बहौतई बढिया उत्तर दियौ-आदमी मेरौ बनायौ भयौ शहदई चुरा सकै, मेरी शहद बनाबे की कला कूँ नाँय चुरा सकै ।                   
   🌹संदेश- कोई आपका creation चुरा सकता है परंतु आपका हुनर नहीं चुरा सकता है ।🌹   
      *ओमन सौभरी भुर्रक*

फिर घमंड कैसौ (ब्रजभाषा में)

🌹 *फिर घमंड कैसौ*
 एक माचिस की तिल्ली, एक घी कौ लोटा, लकडियन के ढेर पै, कछु घंटान में राख, बस्स इतेक सी है, आदमी की औकात । एक घर कौ मुखिया कल शाम कूँ मर गयौ, अपनी सबरी जिंदगी, परिवार के नाम कर गयौ, कहूँ रोबे की सुगबुगाहट, तौ कहूँ बातन की फुसफुसाहट, अरै! जल्दी लै जाऔ, इन्नै को रखेगौ सबरी रात, बस्स इतेक सी है आदमी की औकात
मरबे के बाद मुखिया नै नीचे देख्यौ, वहाँ ते नजारे नजर आ रहे हते, मेरी मौत पै, कछु लोग जबरदस्त, तौ कछु जबरदस्ती रो रहे हते, नाँय रह्यौ, चलौ गयौ, चार दिना तक करंगे बात, बस्स इतेक सी है आदमी की औकात ।     बेटा अच्छी तस्वीर बनबाबैगौ, सामने अगरबत्ती जलाबैगौ, ख़ूशबूदार फूलन की माला होयगी, अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होयगी, बाद में कोई बा पै, जाले उ नाँय करैगौ साफ, बस्स इतेक सी है आदमी की औकात
 जिंदगी भर मेरौ! मेरौ! कियौ, अपने लिए कम अपनेन के लिए ज्यादा जियौ, कोई नाँय देगौ साथ, जाबेगौ खाली हाथ, काह तिनका लै जाबे कीऊ, है हमारी औकात, जे ही है हमारी औकात । जानै कुनसी शोहरत पै, आदमी कूँ नाज है, जो आखिरी सफर के लिए ऊ औरन कौ मोहताज है । फिर घमण्ड कायकौ और कैसौ, बस्स इतेक सी है हमारी औकात ।🌹

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