Wednesday, 25 December 2019

सूर्यग्रहण पै ब्रजभाषा में कविता

ब्रजभाषा में सूर्यग्रहण पर कविता- किसी ने मुझसे सूर्यग्रहण के बारे में पूछा तो मैंने इस प्रकार से उत्तर उस बंधु को दिया ।



बहुत दिनन ते सोच रह्यौ हूँ, मन में कब ते लगी लगन है । आज बताओ हमें ओमन जी, कैसौ होंतौ सूर्यग्रहण है ।
 बोले ओमन प्यारे लोगो, तुम्हें पडेगौ पतौ लगानौ, तुम्हें ढूँढनौ है सूरज के, सबरे ग्रहन कौ ठौर ठिकानौ ।
ऊपर देखौ नील गगन में सबरे ग्रह दौड़ लगामत हैं, बिना रुके सूरज के चक्कर रात-दिन सदा लगामत हैं ।
या नियम ते बँधी है धरती , सूरज के चक्कर करतै
अपने उपग्रह चन्द्रदेव कूँ, संग लैकैं घूमौ करतै ।
 चन्द्रदेवहु धरती माँ के लगातार घेरे लैमतौ है, धरती अपने पथ पै चलती, चंदाहु संग चलौ करतौ है ।
 या दौड़ में जब-जब चन्दा, सूरज धरती के बीच है आतौ चंदा की छाया ते सूरज, हमकूँ ढकौ भयौ दिख पातौ ।
सूरज पै चंदा की छाया कहलामत है सूर्यग्रहण, जरा ठीक ते समझंगे तौ, याय जाननौ नाँय कठिन ।

सनातन धर्म में ग्रहण के दौरान हर काम की मनाही है, गर्भवती महिलान के लैं कछु सावधानी बतायी हैं । गर्भवती महिलान कूँ ग्रहण के भोजन में तुलसी डाल कैं खानौ चहियै ।
 शिशुन के त्वचा संबंधी रोगन ते बचबे की खातिर स्नान जरूर कर लैनौ चहियै ।
 सूरज ते निकलबे वारी अल्ट्रावॉयलेट किरणन ते स्वास्थ्य पै विपरीत प्रभाव पड़तौ है।
 या समय वैज्ञानिक कहतें रोगाणुन कौ प्रभाव बहौत ही बढ़तौ है।


प. ओमन सौभरि भुर्रक/ ओमप्रकाश शर्मा