Featured post

ब्रजमण्डल में मेट्रोन के आवे-जाबे की घोषणा ब्रजभाषा में कैसैं होयगी

                              Metro Map  Mathura District Metro (BrajMandal)- भविष्य में मथुरा में मेट्रो आबैगी तौ salutation और in...

Saturday, 30 November 2019

ब्रजभाषा में कहावत पढ़िए

Hindi Kahavatein: हिंदी कहावतें -

आंधरेन में कानौ राजा/अंधों में काना राजा – मूर्खों में अल्पज्ञ की प्रतिष्ठा/मूर्खन में थोडौ सौ होशियार
अकेलौ चना भाड़ नाँय फोड़ सकै/अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता/अकेलौ आदमीं कछू बडौ काम नाँय कर सकै ।
अधजल गगरी छलकत जाय – थोड़ी विद्या या थोडौ
धन पावे वारौ व्यक्ति घमण्डी होतौ है ।
अब पछताये होत कहा जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत – मौका चूक जाने पर पछताना बेकार हैं/अवसर निकर जावे पै पछतावौ बेकार है।
आधौ तीतर आधौ बटेर – पूरी तरह ते काउ तरफ नाँय होनौ ।
आम के आम गुठलीन केऊ दाम – सभी प्रकार ते दूनौ लाभ उठानौ ।
आप भलौ तौ जग भलौ – खुद अच्छे तौ सब अच्छे ।
आँख कौ अंधा नाम नैनसुख – गुण के विपरीत नाम
आसमान ते गिररौ खजूर पै अटकौ – एक कष्ट ते निकरकर कैं दूसरी मुसीबत में पड़नौ ।
आगे कुआँ पीछे खाई –  दोनौं ओर ते कष्ट और दुविधा में ।
ईँट कौ जवाब पत्थर ते – ठोस उत्तर
उल्टॉ चोर कोतवाल कूँ डाँटे – कसूरवार स्वयं कसूर पकड़बे वारे कूँ डाँटै ।
ऊँट के मौह में जीरौ– जरूरत ते बहुतई कम
ऊँची दुकान फीके पकवान – सिर्फ बाहरी दिखावौ ।
कालौ अक्षर भैंस बराबर – अक्षर ज्ञान से बिल्कुल शून्य ।
कहा बरखा जब कृषि सुखाने – अवसर बीत जावे पै साधन बेकार है जामतैं ।
खोदौ पहाड़ निकरी चुहिया – परिश्रम की तुलना में फल बहुत कम
जो गरजतैं वे बरसत नाँय– जो बहुत बोलतौ है, बू काम काम करतौ है ।
गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से चेला तेज
घर का भेदी लंका ढाभै– आपस की फूट सबतेे बड़ी कमजोरी हैमतै ।
घर की मुर्गी दार बराबर – सहज प्राप्त वस्तु कूँ आदर नाँय मिलै ।
चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी हमेशा चौकन्ना रहमतौ है ।
जाकी लौठी वाकी भैंस – ताकतवर की जीत
जैसी करनी वैसी भरनी – जैसौ काम वैसौ फल
डूबते कूँ तिनके कौ सहारौ – असहाय के लिए थोड़ी सहायताउ काफी हैमतै ।
दूध कौ। जरौ मट्ठाउ फूंक फूंक कैं पीमतौ है – एक बार धोखौ खाबे के बाद आदमी हमेशा सतर्क रहमतौ है ।
देशी मुर्गी विलायती बोल – बेमेल
दूर के ढोल सुहावने – दूर की वस्तु के प्रति अधिक आकर्षण हैनौ ।
धोबी कौ कुत्ता न घर कौ न घाट कौ – कछू काम ना रहनौ।
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – थोड़े फायदे के लैं अधिक खर्च ।
पाँचों अंगुरियाँ घी में – चारों तरफ ते लाभ हैनौ ।
बन्दर कहा जानै अदरक कौ स्वाद – मुर्ख गुण की पहचान नाँय कर सकै ।
बिल्ली के गरे में घंटी – कठिन काम पूरौ करनौ ।
भई गति साँप छुछुदर जैसी – दुविधाजनक स्थिति
रस्सी जर गयी पर ऐंठ नाँय गयी – पतन हैैैबे के बादउ घमंड करनौ ।
सौ चूहे खायकैं बिल्ली चली हज कूँ – अत्यधिक पाप करबे के बाद दिखावटी भक्ति ।
साँप मरै ना लाठी टूटै – बिना किसी नुकसान के काम बन जानौ ।
हाथ कंगन कूँ आरसी कहा – प्रतक्ष्य कूँ प्रमाण की आवश्यकता नाँय हैबै ।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात – होनहार के लक्षण बचपन ते ही प्रकट हैबे लग पड़तें ।
अंधे के हाथ बटेर – मूर्ख के हाथन में मूल्यवान वस्तु
अंधे के आगे रोबौ – अन्यायी ते न्याय माँगनौ
अकल बड़ी या भैंस – बुद्धि बल  ते बडी हैमतै ।
अपनी ढफली अपनौ राग – सबकूँ अपनी-अपनी इच्छा ते काम करनौ ।
आप डूबे तो जग डूबा – बुरा आदमी सबकूँ बुरौ समझतौ है ।
आये थे हरिभजन कूँ बीनन लगे कपास – पूर्वनिश्चित कार्य कूँ छोड़ अनिश्चित काम में लगनौ ।
इतनी सी जान गजभर की जबान – देखबे में छोटॉ, लेकिन बात करबे में तेज ।
देखतैं ऊँट कितकूँ करवट करकैं बैठतौ है – कौन की जीत होयगी ।
ऊखल में सिर दियौ तौ मूसर ते चौं डरनौ– उत्तरदायित्व लैबे के बाद बाधान ते नाँय डर बौ ।
ओस चाटबे ते प्यास नाँय भुजै– अधिक  से कंजूस हैबै ते काम नाँय चलै ।
कभी घृत घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना – हर स्थिति में संतुष्ट रहनौ
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा – इत-बित ते लैं कैं कोई वस्तु तैयार करनौ/ मौलिकता कौ अभाव ।
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – छोटे की बड़ेन ते तुलना नाँय है सकै ।
काजल की कोठरी में धब्बे का डर – बुरी संगति कौ प्रभाव पडेगौ ही ।
काठ की हाँड़ी दुबारा नाँय चढै – छल कपट हमेशा सफल नाँय हैबै ।
कुत्ताउ पूँछ हिला कैं बैठतौ है – स्वच्छता सबकूँ प्रिय है ।
कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नाँय हैबै– दुष्ट अपनी दुष्टता नाँय छोड़ै ।
कुत्ते कूँ घी नाँय पचै – ओछौ आदमी अच्छी बातउ कूँ नाँय पचा सकै ।
खग ही जानै खग की  भाषा – जिनकौ जा चीज ते संबंध रहमतौ है, बू ही वाके बारे में बता सकै ।
खरी मजूरी चोखौ काम – पूरौ देनौ और पूरा काम लैनौ ।
गाँव का जोगी जोगना आन गाँव कौ सिद्ध – गुणन की पहचान अपनेन की अपेक्षा बाहरी लोग अधिक करतैं ।
गुरु कीजै जान, पानी पीजे छान – कोई भी चीज अच्छी तरह जाँचकर लेनी चहिए ।
बाजू में छोरा नगर में ढिंढोरा – जो पास में ही मौजूद हो वाय दूर खोजनौ ।
गीदड़ की जब शामत आमतै तौ बू गाँव की ओर भागतौ है – मुसीबत मनुष्य कूँ खींचतै ।
घर में नाँय भुनी भाँग , नगर निमंत्रण – मूर्खतापूर्ण दुस्साहस
चमड़ी जाय पर दमड़ी ना जाय– भारी कंजूस ।
चोर चोर मौसेरे भाई – एक व्यवसाय वारे आपस में मित्र हैैमतैं ।
चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर लौटे – लाभ के लोभ में हानि उठानौ ।
छछूदर की  टांट पै चमेली कौ तेल – अयोग्य के पास मूल्यवान वस्तु हैनौ ।
छोटे मियाँ तौ छोटे मियाँ बड़े मियाँ सुभान अल्ला – बडेन में छोटेन की अपेक्षा, अधिक बुराई करनौ
जंगल में मंगल – हर स्थिति में प्रसन्न रहनौ ।
जब नाचनौ है तौ घूंघट कैसौ – काम में लाज कैसी ।
जब तक साँस तब तक आस – अंतिम समय तक निराश न हैनौ ।
जल में रहकर मगर ते बैर – जाके अधीन रहनौ है बाते
बैर करबौ करनौ ठीक नाँय ।
जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि – कवि की कल्पना बड़ी तीव्रगामी हैैमतै ।
जा को राखे साइयाँ, मारि न सकै ना कोय – ईश्वर जाकौ सहायक है, वाकौ कोई कछू नाँय बिगाड सकै ।
जाकी जूती वाकौ ही सिर – अपनी ही वस्तु ते हानि ।
जा पत्तल में खानौ वा में छेद करनौ – कृतघनता
जैसौ देश वैसौ वेश – स्थान के अनुसार ही अपने आपकूँ रखनौ चहिए ।
जैसी बहे बयार तब तैसी पीठ आड़ – परिस्थिति के अनुसार ही नीति अपनानी चहिए ।
झूठ के पाँव कहाँ – झूठा आधार हमेशा कमजोर हैमतौ
टके की चटाई ना, नौ टका विदाई – लाभ ते हानि अधिक हैनौ ।
टेढ़ी अँगुरिया ते घी निकलतौ है – सीधेपन ते काम
नाँय चलै ।
ढाक के सदा तीन पात – एक ही स्थिति में हमेशा रहनौ ।
तेते पाँव पसारिये जेती लम्बी ठौर – हैसियत के बाहर काम नाँय करनौ चहिए ।
थोतौ चना बाजे घना – ओछे लोग अधिक आडम्बर क़रतैं ।
दीवार केउ कान हैमतैं– भेद खुलबे के अनेक रास्ते हैंमतें ।
दुधारु गाय की लात भी भली – जिससे फायदा हो वाकी फटकारउ अच्छी लगतै ।
दूध कौ दूध पानी कौ पानी – निष्पक्ष न्याय
दोनों हाथन में लड्डू – दो तरफा लाभ
नदी औऱ नाव कौ संयोग – दुर्लभ मिलाप
न रहेगौ बाँस न बजैगी बाँसुरी – झगडे की जड कूँ समाप्त करनौ ।
नाच न जाने आँगन टेडॉ – अपने अज्ञान कौ दोष दूसरेन पै मढ़नौ ।
नाम बड़े पर दर्शन छोटे – गुणन की अपेक्षा प्रशंसा अधिक ।
नाच न जानै आँगन टेडॉ – अपने अज्ञान का द्वेष दूसरेन पै मढ़नौ ।
नाम बड़े पर दर्शन छोटे – गुण की अपेक्षा प्रशंसा अधिक ।
नौ नगद न तेरह उधार – अधिक उधार ते थोडॉ नगद अच्छौ हैमतौ है ।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे – दूसरेन कूँ उपदेश दैबे वारे बहुत हैं, स्वंय काम करबे वारे बहुत कम हैं ।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख – अपनों स्वाभिमान छोड़ कैं कर माँगबे ते अनादर हैमतौ है ।
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा – अच्छौ
मौकौ मिलनौ ।
बीति ताहि बिसारि दे, आगे की सुध लेय – बीती हुई घटना पै पछताबे के बदले भविष्य की चिंता करनी चाहिए
भैंस के आयगें बीन बजानौ– मूर्ख
पै उपदेश कौ कोई असर नाँय हैबै ।
मन चंगा तौ कठौती में गंगा – मन की पवित्रता ही सबसे बड़ा पुण्य है
मान न मान मैं तेरा मेहमान – जबर्दस्ती काउ के ऊपर मढनौ ।
मार के डर से भूत भागे – दुष्ट व्यक्ति दुष्टता ते ही सीधे हैमतैं ।
मानो तो देवता नाँय तौ पत्थर – विश्वास ही सबकुछ है
मुख में राम बगल में छूरी – कपटी या धोखेबाज आदमी ।
राम नाम जपना पराया माल अपना – कपट ते दूसरेन कौ धन हड़पनौ ।
लगा तो तीर नाँय तौ तुक्का – अंदाजे ते काम करबौ ।
साँच कूँ आँच कहाँ – सच कूँ काऊ कौ डर नाँय हैबै ।
सावन के अंधे कूँ हरौ ही हरौ सूझतौ है – अमीर सबकूँ अमीर समझतौ है ।
सुनौ सब की करौ मन की – सबकौ मन लेेनौ चहिए, लेकिन वही करनौ चहिए जाय अपनौ मन स्वीकार करै ।
सौ चोट सुनार की एक चोट लुहार की – कमजोर के अनेक अपराधन की सजा बलवान एक ही बार में दै दैमतौ है ।
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और – कहने कूँ कछू करने को कछू और
हीरे की परख जौहरी जानै – गुण की परीक्षा गुणी ही कर सकतौ है ।
Advertisements

प्रश्नवाचक शब्दों का ब्रजभाषा में प्रयोग

Question Words In BrajBhasha Langauge-
question
क्या-काह        क्यों-चौं         किसलिए -कायकूं       कहाँ-कांह         किसी-काउ
कब-काखन     कैसा-कैसौ   कौन -को                     कितना-कितनौ  कौनसा-कुनसौ
किधर-कित या कितकूँ          यहाँ– इतकूँ                वहाँ-बितकूँ        कभी – कभऊ
Braj– को को, ऍह जो नाचबौ चाहमतौ ऍह ?
Hindi– कौन- कौन, ऍह जो नाचना चाहता है ?
Braj– कुनसी, बस गड्ढे में गिर गयी ऍह?
Hindi– कौनसी, कौनसी बस गड्ढे में गिर गयी है ?
Braj– काह, तुम मो ते ई कह रे एन्ह ?
Hindi– क्या, आप मुझ से ही कह रहे हो ?
Braj– हमारौ देश चौं नाँय तरक्की कर रौ ऍह ?
Hindi– हमारा देश क्यों नही तरक्की कर रहा है ?
Braj– आलू कै रुपइया किलो चलरे ऍह?
Hindi– आलू कितने रूपये चल रहे हैं ?
Braj– तुम कांह जा रे ऍह ?
Hindi– तुम कहाँ जा रहे हैं ?
Braj– तेरौ स्कूल कितकूँ एन्ह ?
Hindi– तेरा स्कूल किधर है ?