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ब्रजमण्डल में मेट्रोन के आवे-जाबे की घोषणा ब्रजभाषा में कैसैं होयगी

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Monday, 13 January 2020

ब्रजभाषा में पढ़ें मकरसंक्रांति व पोंगल त्यौहार के बारे में


या बार सूर्य कौ मकर राशि में गोचर हैनौ 15 जनवरी कूँ बतायौ जा रह्यौ है जाके मारें हिंदू पंचांग में या पर्व की तिथि 15 जनवरी दई गई है। उत्तर प्रदेश और बिहार के कछु क्षेत्रन में या त्योहार कूँ खिचड़ी (Khichdi ) के नाम ते जानौ जामतौ है। वैसैं जे त्यौहार हर वर्ष 14 जनवरी कूँ पड़तौ है । हिंदू त्योहारन की तारीख पंचांग देखकर ही निर्धारित करि जामतें । हिंदी और अंग्रेजी की दिनांकन में हमेशा अंतर रहमतौ है। या ही वजह ते हर साल आबे वारे त्योहारन कौ दिनांक हर बार अलग होमतौ है लेकिन तिथींन कौ क्षय है जानौ, तिथींन कौ घट-बढ़ जानौ, अधिक मास कौ पवित्र महीना आ जानौ परंतु मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही आबै है। परन्तु पिछले कछु समय ते याकी दिनांकन में हु अंतर आबे लगौ है। याकी शुरुआत 2015 ते भयी हती और मकर संक्रांति के दिनांक कूँ लै कैं वर्ष 2030 तक जेही असमंजस बनौ रहबैगौ। मकर संक्रांति हिन्दू धर्म कौ प्रमुख पर्व है । ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि ते मकर राशि में प्रवेश करतौ है ।सूर्य के एक राशि ते दूसरी राशि में प्रवेश करबे कूँ संक्रांति कहमतैं । मकर संक्राति के पर्व कूँ कहूँ-कहूँ उत्तरायणहु कह्यौ जामतौ है ।



मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करबे कौ विशेष महत्त्व है ।
मकर संक्रांति ते अग्नि तत्त्व की शुरुआत हैमतै और कर्क संक्रांति ते जल तत्त्व की । या दिन तिल कौ हर जगह काउ ना काउ रूप में प्रयोग हैमत ही है । तिल स्वास्थ्य के लैं हु बहौत गुणकारी है । मकर संक्रांति पै माघ मेले में प्रयागराज संगम पै भारी संख्‍या में साधु-संत व लोगन कौ नहान हौंतौ है । आज के दिना सूर्य के बीज मंत्र कौ जाप करैं, मंत्र ऐसैं होयगौ - "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" ।


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 पोंगल दक्षिण भारत कौ बड़ौ फसलन कौ त्योहार है। तमिलनाडु में याय 'ताई पोंगल' के नाम ते हु जानौ जामतौ है। जे हर वर्ष 14 जनवरी कूँ ही मनायौ जामतौ है। पोंगल पै अरवा चावल, सांभर, मूंग की दाल, तोरम, नारियल, अबयल जैसे पारंपरिक व्यजन बनाए जामतें। या पर्व कौ व्यंजन 'चाकारी पोंगल' है, जाय दूध में चावल, गुड़ और बांग्ला चना कूँ उबालकैं बनायौ जामतौ है।



 जे त्योहार चार दिन तक चलतौ है। या में 'भोगी पोंगल' 15 जनवरी कूँ, 'थाई पोंगल' 16 जनवरी कूँ, 'मट्टू पोंगल' 17 जनवरी कूँ और 'कान्नुम पोंगल'  18 जनवरी कूँ मनाया जाय करै है।

ब्रजभाषा में लोहड़ी के त्यौहार के बारे में पढ़ें



लोहड़ी, मकर संक्रांति ते एक दिना पहलैं आमतै । भारत में मुख्‍यत: जे पंजाब, हरियाणा, दिल्‍ली, हिमाचल प्रदेश और जम्‍मू-कश्‍मीर में मनायी जामतै । हमारौ देश विविधतान के रंग ते रंगौ भयौ है। यहां तमाम तरह के पर्व मनाए जामतें। इन में ते एक पर्व है लोहड़ी कौ, जो कै पौष माह के अंत और माघ की शुरुआत में मनाया जामतौ है। कैउ स्‍थानन पै लोहड़ी कूँ तिलोड़ी हु कह्यौ जामतौ है। जे शब्‍द तिल और रोड़ी यानी गुड़ के मेल ते बनौ है।
लोहड़ी मुख्य रूप ते पंजाबीन कौ "फसल त्यौहार" है। जे हर वर्ष  13 जनवरी कूँ मनायौ जामतौ है। जे त्यौहार रबी की फसलन की कटाई कूँ दर्शामतौ है और याके मारें सब किसान एक संग मिलकैं भगवान कूँ धन्यवाद दैमतैं। लोहड़ी ते संबंधित अनुष्ठान मातृ प्रकृति के संग लोगन के लगाव कौ प्रतीक है। त्यौहार के कछु दिना पहले, युवा समूहन में एकत्र हौंतैं और लोकगीत गामत भए अपने इलाकेन में घूमतैं। ऐसौ करबे ते वे लोहड़ी की रात कूँ निर्धारित अलाव/अगाहनौ के लैं जलाऊ लकड़ी और पइसाहु इकट्ठे करतैं। या विशेष दिन पै, फुलली (पॉपकॉर्न), मूंगफली और रेवड़ी (गुड़ और तिल के बीज ते बनी भयी मीठी नमकीन) कौ प्रसाद अग्नि कूँ अर्पित करौ जामतौ है। या लोहड़ी के मौके पर अपने दोस्त और रिश्तेदारन कूँ मैसेज और कोट्स भेजकर ढेर सारी (निबक/निरी) शुभकामनाएं देओ।



 फिर आय गयी भांगड़ा की बारी,
लोहड़ी मनाबे की करौ तैयारी,
आग के पास सब आऔ,
सुंदर मुंदरीए कहकैं जोर ते गाऔ।।
जैसे जैसे लोहड़ी की आग तेज होय
वैसैं-वैसैं हमारे दुखन कौ अंत होय ।