Monday, 30 December 2019

ब्रजभाषा में ब्रजकविता के माध्यम से नयौ साल मुबारक


नववर्ष तुम्हारौ स्वागत है, खुशियन की बस चाहत है ।
 हे नववर्ष ! के प्रथम प्रभात, दै सबकूँ अच्छी सौगात ।
 नैतिकता के मूल्य सिखइयो, अच्छी-अच्छी बात पढ़इयो ।
खुश है जाय फिर जग सारौ, बस दीखै चहुँ ओर यही नजारौ ।
 सहज सरल मन ते सबकूँ गले लगामें, ऊँच-नीच, भेदभाव कौ अंतर मिटामें ।
 पर्यावरण की चिंता करकैं पेड़ लगामें,
स्वच्छता अभियान कूँ घर-घर तक पहुँचामें ।
 योग, प्राणायाम कर देशप्रेम के गीत गामें,
 औरन कूँहु या चीज के लिए उकसामें ।
नयी उमंग, नयी तरंग और जीवन कौ लै कैं नयौ प्रसंग नयी चाह, नयी राह, नित नयौ लै कैं नयौ प्रवाह ।
 करनौ है स्वयं ते वादौ और प्रगति करनी है या जीवन में । बीते पलन में जो मिली निराशा वाय भुलानौ है जीवन में ।
जे साल कैसें कट गयौ पतौ ही नाँय चलौ । या ही तरह नए सालहु में हैमतौ रहै सबकौ भलौ ।
बड़े-बूढ़ेन कौ लेऔ आशीष, मंगलमय हो 2020 ।

 हौलैं- हौलैं करकैं आज कौ दिन निकर जाबैगौ, 1 ही दिना बाद नयौ साल शुरू है जाबैगौ ।
आवे बारौ साल ट्वन्टी-ट्वन्टी कहलाबैगौ । आज ही शुभकामना दै रह्यौ हूँ नाँय तौ पहलौ नंबर और कोई लै जाबैगौ ।


ब्राह्मण ओमन सौभरि भुर्रक /ओमप्रकाश शर्मा :गांव भरनाकलां (ब्रजमंडल)

ब्रजभाषा में ठंड पै नवनिर्मित ब्रजकविता-

ब्रजभाषा में ठंड पै नवनिर्मित ब्रजकविता-


भयौ अपहरण धूप कौ, सबरी जनता मौन ।
 कोहरौ थानेदार है, रपट लिखाबै कौन ।
 ओह सर्दी! तू इतनी मत इतराबै, हमकूँ मत तू आंख दिखाबै ।
अब ही चली जा, हिम्मत होय तौ जून में आ...
 किट-किट करकैं दाँत बजैं,  जाडेन में पाँव और हाथ जमैं ।
वैसैं सब हैमत हैं खास, ठंड की है कछु अलग ही बात ।
देर सबेरे तक सब सोमैं, बेगि ना कोई उठतौ है ।
सर्द हवा जो घुस जाबै तौ एक करंट सौ लगतौ है ।
दिल करतौ है नाँय करें कोई काम, बस रजाई में करते रहमें आराम ।
 खर्चा पाउडर, डियो कौ सब हर रोज बचतौ जाबै,
ढकौ रहै तन जे अपनौ, मच्छरहु काटन ना पाबै ।
सूरज मध्धम सौ भयौ, मौसम सिसकी लैंतौ है,
कोहरौ नाचे मोर-सौ, ठंड ठहाकौ देंतौ है।
गरम पकौड़े मन कूँ भावै, गर्म चाय कूँ मौह ललचाबै ।
सबरे लोग अब सोच रहे हैं, जल्दी ते सर्दी भग जाबै ।

 *पंडित ओमन सौभरि भुर्रक/ओमप्रकाश शर्मा*

Wednesday, 25 December 2019

सूर्यग्रहण पै ब्रजभाषा में कविता

ब्रजभाषा में सूर्यग्रहण पर कविता- किसी ने मुझसे सूर्यग्रहण के बारे में पूछा तो मैंने इस प्रकार से उत्तर उस बंधु को दिया ।



बहुत दिनन ते सोच रह्यौ हूँ, मन में कब ते लगी लगन है । आज बताओ हमें ओमन जी, कैसौ होंतौ सूर्यग्रहण है ।
 बोले ओमन प्यारे लोगो, तुम्हें पडेगौ पतौ लगानौ, तुम्हें ढूँढनौ है सूरज के, सबरे ग्रहन कौ ठौर ठिकानौ ।
ऊपर देखौ नील गगन में सबरे ग्रह दौड़ लगामत हैं, बिना रुके सूरज के चक्कर रात-दिन सदा लगामत हैं ।
या नियम ते बँधी है धरती , सूरज के चक्कर करतै
अपने उपग्रह चन्द्रदेव कूँ, संग लैकैं घूमौ करतै ।
 चन्द्रदेवहु धरती माँ के लगातार घेरे लैमतौ है, धरती अपने पथ पै चलती, चंदाहु संग चलौ करतौ है ।
 या दौड़ में जब-जब चन्दा, सूरज धरती के बीच है आतौ चंदा की छाया ते सूरज, हमकूँ ढकौ भयौ दिख पातौ ।
सूरज पै चंदा की छाया कहलामत है सूर्यग्रहण, जरा ठीक ते समझंगे तौ, याय जाननौ नाँय कठिन ।

सनातन धर्म में ग्रहण के दौरान हर काम की मनाही है, गर्भवती महिलान के लैं कछु सावधानी बतायी हैं । गर्भवती महिलान कूँ ग्रहण के भोजन में तुलसी डाल कैं खानौ चहियै ।
 शिशुन के त्वचा संबंधी रोगन ते बचबे की खातिर स्नान जरूर कर लैनौ चहियै ।
 सूरज ते निकलबे वारी अल्ट्रावॉयलेट किरणन ते स्वास्थ्य पै विपरीत प्रभाव पड़तौ है।
 या समय वैज्ञानिक कहतें रोगाणुन कौ प्रभाव बहौत ही बढ़तौ है।


प. ओमन सौभरि भुर्रक/ ओमप्रकाश शर्मा

Tuesday, 17 December 2019

नवब्रजभाषा कोट्स




Brajbhasha Quotes-

हर काउ के भीतर अपनी शक्ति और अपनी कमजोरी हैमतै जैसैं कै, मछली जल में दौड़ नाँय सकै और शेर पानी में रह कैं राजा ना कहला सकै । * या ही लैं "अहमियत" हम सबन कूँ दैनी चहियै ।

अपने मन कूँ जीतनौ, हजारों युद्ध जीतबे ते अच्छौ है । या ही ते हमारी हमेशा जीत हैमतै जाय हमते कोई नाँय छीन सकै ।

 पत्थर सदैव हथौड़ा की अंतिम चोट ते टूटतौ है, लेकिन जाकौ मतलब जे नाँय कै पहले की सबरी चोट बेकार गयी हैं ।

यदि आपकूँ अपने चुने भये रास्ते पे विश्वास है, या पै चलबे के लैं सामर्थ्य है, और मिलबे वारी हर कठिनाई कूँ सहन करबे कौ साहस है, तौ आपकौ सफल हैबौ निश्चित है ।

 या संसार में सबते बड़ी संपत्ति 'बुध्दि', सबते अच्छौ अस्त्र "धैर्य" , सबते अच्छी सुरक्षा "विश्वास" और सबते बढ़िया दवा "हँसी" है और जे सबरी चीज निःशुल्क हैं ।

 ना थके कबहु पैर, नाँय कबहु हिम्मत हारी है, जज्बा है भरनाकलां के सच्चे विकास कौ, या ही लैं तौ जे सफर जारी है ।

चरण वाके पूजे जामतें, जाके आचरण पूजबे लायक होंय।

अगर आदमी की पहिचान करनी होय तौ वाकी सूरत ते नाँय चरित्र ते करौ चौं कै सौंनौं अक्सर लोहे की तिजुरीन में रखौ जामतौ है ।

 कछु चीज कमजोरन की देखरेख में सुरक्षित रहमतें, जैसें मिट्टी के गुल्लक में लोहे के सिक्के, बस विश्वास हैनौ चहियै ।
तेरे गिरबे में तेरी हार नाँय, तू आदमी है अवतार नाँय, गिर-उठ चल और भाग, चौं के जीवन बहुत ही छोटो है याकौ कोई सार नाँय ।

हौंसलेन के तरकश में कोशिश कौ तीर जीवित रखौ, हार जाऔ चांय जीवन में सबकछु, मगर फिर ते जीतबे की आशा जीवित रखौ ।

अगर आप सही हौ तौ कछु हु साबित करबे की कोशिश मत करौ, बस ज्यौं-त्यौं ही बने रेहौ, या चीज की गवाही समय स्वयं दै देगौ ।
जो प्रसन्न है रह्यौ है वाकूँ कष्ट नै पालौ होयगौ, जो राह पै चलैगौ वाके पामन में छालौ होयगौ, सौनौ बिना तपाये सौनौं नाँय बनै, जो जलैगौ वा ही दिए में तौ उजालौ होयगौ ।

Brajbhasha Quotes/ ब्रजभाषा कथन

Monday, 2 December 2019

Brajabhasha LokGeet and Chutkule 2

ब्रज भाषा जैसा काव्य किसी और भाषा में नहीं
ब्रजभाषा गद्य लेखन में अभी काम कम हुआ है हम सभी को प्रयास करने चाहिए कि गद्य की सभी विधाओं में लेखन कार्य हो। ब्रजभाषा में नीति काव्य पूर्ण दक्ष है। ऐसा नीति काव्य और किसी भाषा में नहीं है।


1- मथुरा में एक बाप अपने बेटे ते रात कूँ सोमते समय, "लाला, तोय पतौ है, पेट्रोल सस्तो है गयो है।
बेटा : हम्बै ! है तौ गयौ है, फिर....।
बाप : फिर कछु नाँय, या मोबाइल बंद करकें चुपचाप सो जा। नाँय, तौ पेट्रोल छिरक कैं आग लगा दंगो ... सारे में।

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2-एक छोरा कूँ रस्ता में शंकर भगवान् मिलगे ,बिन्नै बा छोरा कूँ अमृत पान करबे कूँ दियौ |
छोरा - नैक रुकौ भगवान, अबई राजश्री खायौ है ।

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3-ग्राहक-गुलाब जामुन कैसैं दिए ऍह |
हलवाई -१२० रुपैया किलो तराजू ते तोल कैं |
ग्राहक- अच्छा ! एक किलो दीजो और जलेबी काह भाव है ।
हलवाई – ८०/- रु. किलो.
ग्राहक- अच्छौ ! तौ गुलाब जामुनन नै रहन दै | १ किलो.जलेबी दै दै |
हलवाई – ठीक है भैया जे लेओ जलेबी १ किलो.
ग्राहक – धन्यवाद, राम राम भैया जी !
हलवाई – अरे भाईया , जलेबी के तौ पइसा दै जा |
ग्राहक – पइसा कयके ,जलेबी तौ गुलाब जामुनन के बटकी लिए हैं ।
हलवाई – तौ गुलाब जामुनन के पइसा दै जाऔ। 
ग्राहक – अरे भैया जी, गुलाब जामुन तौ लिए जे नाँय फिर कायके ?
राम राम !


💐💐💐💐💐*गीत*💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरी पैंया*
सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरी पैंया
मेरो छोटौ सौ काम कराय दै
राधा गोरी से ब्याह रचाय दै

राधा-सी गोरी मेरे मन में बसी है
ग्वाल उड़ावे नहीं मेरी हँसी है
मोकूँ छोटी-सी दुल्हनियाँ लाय दै
अपने हाथन से दुल्हा बनाय दै

सेवा बू मैया तेरी रोज करेगी
जोड़ी तौ मैया मेरी खूब जमेगी
नन्द बाबा कूँ तू नेंक समझाय दै
दाऊ भैया कूँ नैंक संग पठाय दै

गाँव बरसानौ जाकौ सब जग जानै
गैया ना चराऊं तेरी तू ना मेरी मानें
अब तू मैया और काहु कूँ पठाय दै
बलदाऊ भैया कूँ तू बुलवाय दै
मेरो छोटौ सौ काम कराय दै
राधा गोरी ते ब्याह रचाय दै

*छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल*
छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल
छोटौ सो मेरौ मदन गोपाल

आयगें-आयगें गइया, पीछैं-पीछैं ग्वाल
बीच में मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया...

कारी-कारी गइया गोरे-गोरे ग्वाल
श्याम वरन मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... 

घास खामें गइया, दूध पीवें ग्वाल
माखन खावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... 

छोटी-छोटी लकुटी, छोटे-छोटे हाथ
बंशी बजावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... 

छोटी-छोटी सखियाँ मधुबन बाग
रास रचावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... 
छोटौ सौ मेरौ मदन गोपाल

*कालीदह पै खेलन आयौ री*
*मेरौ बारौ सौ कन्हैंया* कालीदह पै खेलन आयौ री
ग्वाल-बाल सब सखा संग में गेंद कौ खेल रचायौरी
काहे की जानै गेंद बनायी और काहे कौ डण्डा लायौ री
रेशम की जानै गेंद बनायी, चन्दन कौ डण्डा लायौ री
मारौ टोल गेंद गयी दह में गेंद के संग ही धायौ री
नागिन जब ऐसैं उठि बोली,  चौं तू दह में आयौ रे
काह तू लाला गैल भूल गयौ, कै काहु नै बहकायौ री
कैसैं लाला तू इतकूँ आयौ, कैं काऊ ने भिजवायौ री
ना नागिन मैं गैल ही भूलौ, और ना काहु नै बहकायौ री
नागिन नाग जगाय दै अपने याही की मारें आयौरी
नाँय जगावै तौ फिर कह दै ठोकर मार जगायौ री
भयौ युद्ध दोनोंन में भारी, अन्त में नाग हरायौ री
नाग नाथ रेत में डारौ वाके फनन पै बैंन बजायौ री
रमणदीप कूँ नाग भेज दियौ फन पै चिन्ह लगायौरी


*जमुना किनारे मेरौ गाँव सांवरे आ जइयो*
जमुना किनारे मेरौ गाँव सांवरे आ जइयो
जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली
मैं ब्रज की गोपिका नवेली
राधा रंगीली मेरौ नाम कै बंशी बजाय जइयो

मल-मल कै स्नान कराऊँ
घिस-घिस चन्दन खौर लगाऊँ
पूजा करूँ सुबह शाम कै माखन खा जइयो

खस-खस कौ बंगला बनवाऊँ
चुन-चुन कलियाँ सेज सजाऊँ
धीरे-धीरे दाबूँ में पाम, प्रेम-रस पियाय जइयो

देखत रहूँगी बाट तुम्हारी
जल्दी अइयो कृष्णमुरारी
झाँकी देखंगे सब ब्रजवासी कै हँस-मुस्काय जइयो

तुम ते फँस रह्यौ प्रेम हमारौ
तू तौ है ब्रज कौ रखबारौ

आयकैं नैंक मेरौ काम तू करवाय जइयो ।


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सुनबे बारौ कोई नाँय, टर्रामें चों"।
ऐसौ कह कें अपनौ जोस घटामें चौं॥
जिनकूँ बिदरानों है - बिदरामंगे ही।
हम अपनी भाषा-बोली बिदरामें चौं॥
ब्रजभासा की गहराई जगजाहिर है।
तौ फिर या कों उथलौ कुण्ड बनामें चौं॥
ऐसे में जब खेतन कों बरखा चँइयै।
ओस-कणन के जैसें हम झर जामें चौं॥
जिन के हाथ अनुग्रह कूँ पहिचानत नाँय।
हम ऐसे लोगन के हाथ बिकाबामें चौं॥
मन-रंजन-आनन्द अगर मिलनों ही नाँय।
तौ फिर दुनिया के आगें रिरियामें चौं॥

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कुहासौ छँट गयौ और, उजीतौ है गयौ है।
गगनचर चल गगन कूँ, सबेरौ है गयौ है॥
हतो बू इक जमानौ, कह्यौ करतौ है जमानौ।
चलौ जमना किनारें - सबेरौ है गयौ है ॥
बू रातन की पढ़ाई, और अम्मा की हिदायत।
अरै तनिक सोय लै रे - सबेरौ है गयौ है॥
अगल-बगलन छत्तन पै, कहाँ सुनबौ मिलै अब।
कै अब जामन दै, बैरी - सबेरौ है गयौ है॥

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ब्रज के सिवाय होयगी अपनी बसर कहाँ।
ब्रज-भूमि कूँ बिसार कें जामें कितकूँ और कहाँ?
कनुआ सों दिल लगाय कें हम धन्य है गये।
और काहू की प्रीत में ऐसौ असर कहाँ॥
सूधे-सनेह की जो डगर ब्रज में है हुजूर।
दुनिया-जहाँ में कहूँ ऐसी डगर कहाँ॥
तन के लैं तौ ठौर घनी हैं सबन के पास।
“मनुआ” मगर बसाओगे, मन के नगर कहाँ॥
उपदेस ज्ञान-ध्यान रखौ आप ही भैयाऔ।
जिन के खजाने लुट गये बिनकूँ सबर कहाँ॥

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नैक तौ देख तेरे सामही हैं।
काह -काह कर’तें तिहारे घर बारे॥
एक कौने में धर दियौ तो कूँ ।
खूब चोखे तिहारे घर बारे॥
जहर पी कें सिखायौ बा नें हमें।
हमारी गैल में रपटन मचायबे बारे।
तनौ ही रहियो, हमकूँ गिरायबे बारे॥
बस एक दिन के लिएँ मौन-ब्रत निभाय कें देख।
हमारी जीभ पे तारौ लगायबे बारे॥
जनम-जनम तोय अपनेन कौ संग मिलै।
हमारे गाम ते हम कों हटायबे बारे॥
हमारे लाल तिहारे कछू भी नाँय काह ।
हमारे ‘नाज में कंकर मिलायबे बारे॥

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शीघ्र ही नाँय शीघ्रतर आबै।
अब तौ अच्छी सी कछु खबर आबै॥
कोई तौ उन अँधेरी गैलन में।
रात कूँ जाय दीप धर आबै॥
राह तौ बीसन मिलीं मगर हमें।
अब जो आबै तौ रहगुजर आबै॥
मेरी उन्नति कौ मोल है तब ही ।
जब सबरेन पै कछु असर आबै॥
है अगर सच्च-ऊँ गगन में बू ।
एक-दो दिन कूँ ई उतर आबै॥
बा कौ उपकार माननों बेहतर।
जा की बिटिया हमारे घर आबै॥
जुल्म की धुन्ध में, भलाई की।
"घाम निकरै तौ कछु नजर आबै"॥