Featured post

ब्रजमण्डल में मेट्रोन के आवे-जाबे की घोषणा ब्रजभाषा में कैसैं होयगी

                              Metro Map  Mathura District Metro (BrajMandal)- भविष्य में मथुरा में मेट्रो आबैगी तौ salutation और in...

Monday, 16 September 2019

माँ-बाप (पुरखान) कौ सम्मान जीते जी करौ ।

 डॉक्टर- अरे भाई! बुढ़ापे कौ कोई इलाज नाँय होय करै । अब तौ सिर्फ अपने पिताजी की सेवा करौ । बेटा- डॉक्टर साहब कोई तौ तरीका होयगौ, ठीक करबेकौ अब हर  तरह की दवाई चल रही हैं । डॉक्टर बेटे की तरफ बोलते भये बोल्यौ मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकतौ हूँ । इनकूँ खुश रखौ, या ते अच्छी कोई दवा नाँय और इनकूँ तरल पदार्थ दैमत रहियों ।
डॉक्टर अपनौ बैग सम्हालते भये बाहर कूँ निकर गये । बेटा पिता कूँ लैकैं बहौत चिंतित हतो । बाय जे लग रह्यौ हतो कै बिना पिताजीन के जीवन काटबौ बहौत ही सूनौ-सूनौ है जाबैगौ । मां के जाबे के बाद एकमात्र पिताजी कौ ही आशीर्वाद ही बचौ है, जे सोच कैं बाय बचपन के दिना याद आ रहे हते । कैसैं पिता हर रोज घर कछु लैकैं ही घुसते हते । बाहर नैक-नैक बारिश है रही हती बेटा नै खुद कूँ समेटते भयो पत्नी कूँ आवाज लगाई- आज सबकूँ मूँग दाल के पकौड़े बनाऔ, मैं बाहर ते जलेबी लैकैं आ रह्यौ हतूं
 पत्नी नै पहले ते ही दाल भिगो रखी हती, थोड़ी सी ही देर में सबरी तैयारी पूरी कर लयीं । अब पकौड़ान की ख़ुशबू आबे लग गयी हती, बेटाहु जल्दी सीना जलेबी लैकैं घर के अंदर आ गयौ,   पकौड़ा और जलेबीन कूँ एक ही थाली में धर कैं पिताजीन के सामने परोसबे ते पहलें, उनकूँ निहारतौ भयौ बोल्यौ- पिताजी ! आज आपकी पसंद की चीज बनी है । पिताजी हल्की से आँखन नै झपकाते भये दबी भयी आवाज में मुस्कारते भये बोले-पकौड़ा बन रहे हैं काह?

 हाँ पिताजी! आपकी पसंद की हर चीज अब हम सबकी पसंद है । पिताजीन नै आधौ सौ पकोड़ा खाते भये बोले नैक सी जलेबी और दै दै, बेटा नै जलेबी कौ एक छता पिताजी की तरफ बढ़ा दियौ । बस्स लाला अब पेट भर गयौ, जे कहते भये बेटे कूँ हाथ कौ इशारौ दियौ । पिताजी आप मेरे तेंदुलकर हो आपकूँ सेंचुरी लगानी है आँखन में आंसू लाते भये दबे भये गले ते ऊँची आवाज में बोल्यौ । पिता धीरे ते मुस्कुराये और हल्की सी आवाज में बोले- देख तेरी माँ पवेलियन में इंतज़ार कर रही है, बाके संग अगलौ मैच खेलनौ है, तेरौ पोता बन कैं आउंगौ तब खूब जी भर के खबइयो । पिता जी बेटा की तरफ देख कैं  जे सब कह रहे हते । बेटा   नै प्लेट उठाकैं एक तरफ धरबे कूँ चल्यौ मगर उनकी नज़र बेटे की तरफ ही टिकी भयी हती, बेटे कूँ आभास है गयौ कै पिताजीन के जीवन की यात्रा समाप्त है चुकी है ।
बेटा कूँ उनकी बातन कौ ख्याल आ रह्यौ हतो, वे कहमते हते कै, *श्राद्ध खाबे कूँ नाँय आउंगौ जो ख़िलानौ है, बाय अबई खिलाय दै* जे सोच कै फफक-फफक कै रोन लग्यौ, इतेक ही देर में पड़ोसीन नै आबौ शुरू कर दियौ और अंतिम संस्कार की तैयारी करन लगे ।
 *🙏सार- अपने माँ-बाप कौ जीते जी सम्मान करौ, खुश रखौ, बिनकी सेवा करौ, बिन्नै श्राद्ध के ही भरोसे मत छोड़ो* ।🙏🥀
:ओमन सौभरी भुर्रक (भरनाकलां, मथुरा)