Featured post

ब्रजमण्डल में मेट्रोन के आवे-जाबे की घोषणा ब्रजभाषा में कैसैं होयगी

                              Metro Map  Mathura District Metro (BrajMandal)- भविष्य में मथुरा में मेट्रो आबैगी तौ salutation और in...

Saturday, 30 November 2019

ब्रजभाषा में लोकगीत और चुटकुले

Learn Brajabhasha Stories, Lokgeet and Jokes

तीन चोरन की कथा –
बहौत दिनान की बात ऍह |काउ शहर में रमन घीसा और राका तीन चोर रहमत हते |तीनोंन नै नैक- नैक विद्यान कौ ज्ञान हतो |इन विद्यान के मारें बिन्नै घमंड हैगौ |बे इन विद्यान के मारें शहर के बड़ी बड़ी लोहे ते बनी अल्मारीन (तिजूरिन) नै तोर दैमते |
या तरह शहरवासीन के नाक में दम कर रखौ हतो |एक बेर बिन्नै शहर के बैंक ते सबरौ माल उड़ा दियौ |जब पुलिस कूँ खबर भई तौ पुलिस बिन्नै ढूंढबे लगी |मगर बे तीनों चोर जंगल में भागगे |
जब बिन नै जंगल में बिखरी भई हड्डी देखीं तौ रमन नै अनुमान लगायकें कही कै-ई तौ काउ शेर की हड्डियां एन्ह |मैं चाहूँ तौ इन्नै जोड़ सक्तू |घीसा बोलौ मैं बाकी हड्डिन नै जोड़ कैं खाल में डाल दंगो |
घीसा की बात सुनकें राका कौउ घमंड उ उमड़त लग्गौ |बानै कही इतनौ काम तुम कर सकतें तौ मैं यामें साँस डार दंगो |नैक सी देर में बिन के सामने शेर खडॉ हैगौ |अब तौ तीनोंन नै डर के मारें दांत तलवे दवा लिए |
लेकिन शेर तौ भूखा हतौ,और घुर्राकैं परौ और तीनोंन नै खायगौ |
कहानी ते शिक्षा-
बाड़ीयौ या कथा ते ई शिक्षा मिलतै कै हमें कभउ घमंड नाँय करनौ चहियै |
एकता-
एक किसान औ | बा के चार छोराऐ | ‘बिनकौ आपस कौ झगडनौ’ रोज़ कौ काम है गयौ हतो | एक बार किसान नै अपने छोरन ते परेशान है कैं, एक तरकीब सोची | बा नै सबन कूँ अपने ढिंग आबे कही | सबरे छोरा महां इकट्ठे है कैं आयगे | किसान नै कही कै तुम एक काम करौ, सब एक एक लकड़िया लाऔ | सबरे भईया लकड़िया लै आये | फिर किसान नै कही तुम इन्नै ,’जो लकड़िया तिहारे हाथन में लग रही ऍह’ तोड़ देऔ | सबन नै पट्टई पट्ट तोड़ दई | फिर किसान नै कही कैं अब सबरी लकड़ियांन नै एक संग मिलाय कैं तोड़ देऔ | सबन कौ एक-एक कर कैं नंबर आयौ, काउ पै ते नाँय टूटी | तबई किसान नै बे समझाए कै लालाऔ एकता में बहौत शक्ति रहमतें ,संग रहंगे तौ कोई कछु नाँय बिगाड़ पाबैगौ | न्यारे न्यारे रहंगे तौ कोई ना कोई रिगड़ देगौ |
या कहानी ते शिक्षा मिलतै कै हमें मिल कैं रहनौ चहिए|
प्यासौ कउआ
एक कउआऔ | बू बहौत प्यासौ | बू पानी की खोज में सबराँ उड़ उड़ कैं देखरौ | हतो, फिर नैक देर पीछैं बाय पानी कौ चपटा दिखाई दियौ | बू उतरकैं चपटा के ढिंग आयौ फिर बा नै देखौ कै चपटा में पानी तौ कम ऍह | फिर बाके दिमाग में एक तरकीब आयी कै यामें कछु कंकड़ डारने चहियें |
तबई पानी ऊपर आबैगौ , बानै कंकड़ ला लाकैं चपटा में डारे |पानी ऊपर आयगौ, और कउआ पानी पी कैं उड़ गयौ | या कहानी ते हमें ई शिक्षा मिलतै की हमें अपने काम के लैं मेहनत करनी चहिए |
कछुआ और खरगोश
एक कछुआ और एक खऱगोशऔ, बिन दोनोंन में होड़ है गयी कै, को आयगें निकरैगौ | खरगोश बोल्यौ कै मैं ई आयगें निकरंगों तौ बिचारौ | कछुआ बोल्यौ चल भईया खेंच लै लाइन|
दोनोंन नै भागबौ शुरू कर दियौ | खरगोश तौ कुदक कुदक कैं भागकैं आयगें निकरगौ बिचारौ कछुआ हौलें हौलें
आगे मॉंऊँ बढतौ गयौ | पल्लंगकूँ खरगोश नै देखौ कै अबई कछुआ बहौत दूर ऍह मैं नैक दमई लै लऊँ
बा के चक्कर बाय औंग आयगई और बू सोयगौ, बितकूँ कछुआ हौलें हौलें बा ते आयगें निकर कैं जीत बारी लाइन पे पहौंचगौ, अब इतकूँ खरगोश की आँख खुली तौ चक्क बक्क हैगौ और अब बाके खूब समझ में आयगी कै मेरौ घमंड चूर चूर हैगौ ऍह, तौ लालाऔ या कथा ते ई शिक्षा मिलतै कै कभउ मैंमेरी मत दिखाऔ |
Hangover song in brajbhasha-
जानै कब होठन पै लिख दई दिल ते दिल की बातें समझौ नांयौ ई दिल हमतौ रये समझाते
मैंने देखौ तोय भुलां कै पर दिल ते कभउ ना उतरै हैंगओवर तेरी यादन कौ
हैंगओवर तेरी बातन कौ
हैंगओवर तेरी यादन कौ
हैंगओवर तेरी बातन कौ
जानै कब होठन पै लिख दई दिल ते दिल की बातें समझौ नांयौ ई दिल हमतौ रये समझाते
मैंने देखौ तोय भुलां कै हर एक तरकीब लगाय कैं
हर नुश्खे कूँ आजमाय कैं
पर दिल ते कभउ ना उतरै
जानै कब मेरी नींद गयी उडी
सोई सोई रातन में
जानै कब मेरौ हाथ गयौ
सोनिया तेरे हाथन में
चल बढ़ते ऍह तेरे माऊँ में जब ई कदम उठामत ऊँह
जाऊं तो ते दूर दूर
तो पास तेरे आ जामत ऊँ
बातनहैंगओवर तेरी बातन कौ
बातनहैंगओवर तेरी यादन कौ
बातनहैंगओवर तेरी बातन कौ
एक जगह पै कभउ रुकौ नांऊँ
एक जगह पै कभउ टिकौ नांऊँ
जैसौ मैंने चाह्यौ मोय वैसौ कोई दिखौ नांऔ
पर जब ते देखौ तोय जो भयौ नाँय बू हैबे लग्यौ
दिल मेरौ मोय जगाकैं खुद सीने में सोन लगौ
मेरी फितरत बदल रई ऍह बस्स अब तौ दुआ ई ऍह
कै दिल ते कभउ ना उतरै
आवे अचक मेरी बाखर में, होरी को खिलार॥
डारत रंग करत रस बतियाँ,
सहजहि सहज लगत आवे छतियाँ।
ये दारी तेरौ लगवार॥ होरी को. आवै.
जानत नाहिं चाल होरी की,
समझत बहुत घात चोरी की।
आखिर तो गैयन को ग्वार॥ होरी को. आवै.
गारी देत अगाड़ी आवै,
आपहु नाचै और मोहि नचावै।
देखत ननदी खोले किवार॥ होरी को. आवै.
सालिगराम बस्यों ब्रज जब से,
ऐसो फाग मच्यो नहिं तब ते।
इन बातन पै गुलचा खाय॥ होरी को. आवै.
आ घिर आई दई मारी घटा कारी। बन बोलन लागे मोर दैया री
बन बोलन लगे मोर। रिम-झिम रिम-झिम बरसन लागी छाय री चहुँ ओर।
आज बन बोलन लगे मोर। कोयल बोल डार-डार पर पपीहा मचाए शोर।
ऐसे समय साजन परदेस गए बिरहन छोर।
Brajbhasha Lokgeet-
“सुनबे बारौ कोउ नाँय, टर्रामें चों”।
ऐसौ कह कें अपनौ जोस घटामें चौं॥
जिन कों बिदरानों है – बिदरामंगे ही।
हम अपनी भासा-बोली बिदरामें चौं॥
ब्रजभासा की गहराई जगजाहिर है।
तौ फिर या कों उथलौ कुण्ड बनामें चौं॥
ऐसे में जब खेतन कों बरखा चँइयै।
ओस-कनन के जैसें हम झर जामें चौं॥
जिन के हाथ अनुग्रह कों पहिचानत नाँय।
हम ऐसे लोगन के हाथ बिकामें चौं॥
मन-रंजन-आनन्द अगर मिलनों ही नाँय।
तौ फिर दुनिया के आगें रिरियामें चौं॥
कुहासौ छँट गयौ और, उजीतौ ह्वै गयौ ऐ।
गगनचर चल गगन कूँ, सबेरौ ह्वै गयौ ऐ॥
हतो बौ इक जमानौ, कह्यौ कर्त्वो जमानौ।
चलौ जमना किनारें – सबेरौ ह्वै गयौ ऐ॥
बौ रातन की पढ़ाई, और अम्मा की हिदायत।
अरे तनि सोय लै रे – सबेरौ ह्वै गयौ ऐ॥
अगल-बगलन छतन सूँ, कहाँ सुनिबौ मिलै अब।
कि अब जामन दै बैरी – सबेरौ ह्वै गयौ ऐ॥
कहूँ जामन की जल्दी, कहूँ जा बात कौ गम।
निसा उतरी ऊ नाँय और, सबेरौ ह्वै गयौ ऐ॥
न कुकड़ूँ-कूँ भई और, न जल झरत्वै हबा सूँ।
वारे लाँगुरिया दर्शन कूँ आनाकानी मत करै,
मैंने बोली है करौली की जात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया नैनन सुरमा मैंने सार कै,
कोई बिन्दी लगाय लई माथ॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया हाथन में कंगन मैंने पहिर लगये,
और मेंहदीउ लगाय लई हाथ॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया साड़ी तो पहिरी टैरालीन की,
कोई साया तौ जामें चमकत जात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया कौन की सीख लई मान कै,
जो करवे चले नाँय जात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया रूपया खरच कूँ मैंने रख लीने,
तू तो निधरक चल ‘प्रभु’ साथ॥ लाँगुरिया.
बारे लाँगुरिया रुपया खरच कू रख लीजो,
मैंने बोली है करौली की जात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया चम्पा की मैयाहू जावैगी,
और सुन्दर की कर गई बात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया साड़ी तौ लादै नायलौन की
जामें चमकैं जोबन गात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया गोटा किनारी वापै लगवाऊँ,
चाहे उठ जाँय पाँच के सात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया गोद मेरी तो सूनी है,
अब जाय मांगूगी देवी मात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया मन में तू शंका कछु न रखियो
वहाँ पै जो माँगे ‘प्रभु’ पात॥ लँगुरिया.
तौ फिर हम कैसें मानें – सबेरौ ह्वै गयौ ॥
ठाल होय तौ पढ़ियों नाँय तौ ज्यादा मूंड मारबे की जरुरत नाँय
Jokes-
मथुरा में एक बाप अपने बेटे ते रात कूँ सोमते समय, “लाला, तोय पतौ है, पेट्रोल सस्तो है गयो है।
बेटा : हम्बै ! है तौ गयौ है,, फिर….।
बाप : फिर कछु नाँय, या मोबाइल बंद करकें चुपचाप सो जा। नाँय, तौ पेट्रोल छिरक कैं आग लगा दंगो … सारे में।
******************
2- एक छोरा कूँ रस्ता में शंकर भगवान् मिलगे ,बिन्नै बा छोरा कूँ अमृत पान करबे कूँ दियौ |
छोरा – नैक रुकौ भगवान, अबई राजश्री खायौ ऍह|
******************
3- ग्राहक-गुलाब जामुन कैसैं दिए ऍह |
हलवाई -१२० रुपैया किलो तराजू ते तोल कैं |
ग्राहक- अच्छा ! एक किलो दीजो और जलेबी काह भाव ऍह |
हलवाई – ८०/- रु. किलो.
ग्राहक- अच्छौ ! तौ गुलाब जामुनन नै रहन दै | १ किलो.जलेबी दै दै |
हलवाई – ठीक है भैया ई लेओ जलेबी १ किलो.
ग्राहक – धन्यवाद, राम राम भैया जी !
हलवाई – अरे भाईया , जलेबी के तौ पइसा दै जा |
ग्राहक – पइसा कयके ,जलेबी तौ गुलाब जामुनन के बटकी लिए हैं |
हलवाई – तौ गुलाब जामुनन के पइसा दै जाऔ
ग्राहक – अरे भैया जी, गुलाब जामुन तौ लिए ई नाँय फिर कायके ?
राम राम !
ब्रजभाषा : poetry queen
गाम में एक नई बहू आई हती …
सास बोली: चल सवेरौ हैगौ है, बिटौरा पै गोबर डारयामै….
.बहू- माताजी मैंने BSC कर राखी है मैं गोबर थापूंगी का?
सास- तोय बू पल्लौ बिटोरा दीख रह्यौ है का?
MSC वारी कौ है, चुप्पई सीना आजा!!!
तौ भैया गाम की तौ ईई कहानी एन्ह…कितनौउ काउऐ पढ़ा -लिखा लेऔ करनौ गोबर -पानीई एंह

BrajBhasha-
रूप-रंग-श्रृंगार क्यों, नाचे मन में मोर
उत्साहित हैं गोपियाँ, कृष्ण सखी चितचोर
राधे शरमाकर कहे, आवे मोहे लाज
बंसी बाजे कृष्ण की, भूल गई सब काज
लड़ते-लड़ते लड़ गए, राधा प्यारी से नैन
महावीर ये हाल अब, कृष्ण हुए बेचैन
निर्मल जमुना जल बहे, कृष्ण खड़े हैं तीर
आ जाओ अब राधिके, मनवा खोवे धीर
और एक अति लाभ यह, या मैं प्रगट लखात
निज भाषा में कीजिये, जो विद्या की बात।
लग रही आस करूँ
भजन करूँ और ध्यान धरूँ, छैया कदमन की मैं॥
सदा करूँ सत्संग मण्डली सन्त जनन की मैं॥ लग.
पलकन डगर बुहार रेणुका ब्रज गलियन की मैं।
अभिलाषी प्यासी रहें अँखियां हरि दरसन की मैं।
भूख लगै घरे-घर तै भिक्षा करूं द्विजन की मैं।
गंगाजल में धोय भेट धरूँ नन्दनन्दन की मैं॥
शीतल प्रसादहि पाय करूँ शुद्धी निज मन की मैं।
सेवा में मैं सदा रहूँ नित ब्रज भक्तन की मैं॥
ब्रज तज इच्छा करूँ नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं।
‘घासीराम’ शरण पहुँचे गिरिराजधरन की मैं॥
पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में लगा दई भुटिया॥
ससुर भी सोबै सास भी सोवें दै दै टटिया।
हम लाँगुर दोनों मैंड़ पै डोलें लै लै लठिया॥
पल्ले पड़ि गई.
जेठ भी सोवै जिठानी भी सोवै दै दे टटिया।
हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डोलें लै लै लठिया॥
पल्ले पड़ि गई.
देवर भी सोवै दौरानी भी सोवै दै दै टटिया।
हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डौलें लै लै लठिया॥
पल्ले पड़ि गई.
बालम भी सोवै सौतन भी सोवे दै दै टटिया।
हम लांगुर दोनों मैंड पर डोलें लै लै लठिया॥
पल्ले पड़ि गई.
बादशाह अकबर ब्रज बोली में दोहे कहता था, एक उसे मरते वक्त याद आया-
पीथल सूं मजलिस गई तानसेन सूं राग.
हंसबो रमिबो बोलबो गयो बीरबर साथ.
 पिचका चलाई और जुवती भिजाइ नेह,
लोचन नचाइ मेरे अंगहि नचाइ गौ।
सामहिं नचाइ भौरी नन्दहि नचाइ खोरी
बैरिन सचाइ गौरी मोहि सकुचाइ गौ
अन्त ते न आयौ याही गाँवरे को जायौ
माई बापरे जिवायौ प्याइ दूध बारे बारे को।
सोई रसखानि पहिवानि कानि छाँडि चाहै,
लोचन नचावत नचैया द्वारे द्वारे को।
उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी ,
नेसुक देखाय मुख दूनो दुख दै गई ।
मुरि मुसकाय अब नेकु ना नजरि जोरै ,
चेटक सो डारि उर औरै बीज बै गई ।
कहै कवि गंग ऎसी देखी अनदेखी भली ,
पेखै न नजरि में बिहाल बाल कै गई ।
गाँसी ऎसी आँखिन सों आँसी आँसी कियो तन ,
फाँसी ऎसी लटनि लपेटि मन लै गई ।
दानी बडे तिहु लोकन में जग जीवत नाम सदा जिनकौ लै ।
दीनन की सुधि लेत भली बिधि सिद्वि करौ पिय मेरो मतो लै ।
दीनदयाल के द्वार न जात सो, और के द्वार पै दीन ह्वै बोलै ।
श्री जदुनाथ के जाके हितू सो, तिहूँपन क्यों कन मॉगत डोलै ।
1- हरि के सब आधीन पै, हरी प्रेम आधीन।
याही ते हरि आपु ही, याहि बड़प्पन दीन॥
2- ब्रज रज की महिमा अमर, ब्रज रस की है खान,
ब्रज रज माथे पर चढ़े, ब्रज है स्वर्ग समान।
3- राधा ऐसी बावरी, कृष्ण चरण की आस,
छलिया मन ही ले गयो, अब किस पर विश्वास।
विछुरे पिय के जग सूनो भयो, अब का करिये कहि पेखिये का।
सुख छांडि के दर्शन को तुम्हरे इन तुच्छन को अब लेखिये का॥
‘हरिचन्द’ जो हीरन को ब्यवहार इन कांचन को लै परेखिये का।
जिन आंखिन में वह रूप बस्यो उन आंखन सों अब देखिये का॥
कछु माखन कौ बल बढ़ौ, कछु गोपन करी सहाय |
श्री राधे जू की कृपा से गिरिवर लियौ उठाय ||
भींत में थान है
थान में देवता
आरती कूं
देवता तौ मानतौ रह्यौ पर भींत चौं नाँय मानी
एक दिना दाब मारी देवतान नै भींत
****************************************

नास्तिक से आस्तिक बनने की कथा ब्रजभाषा में


एक नास्तिक की भक्ति- एक बार की बात हतै, एक बिरजू नाम कौ आदमी हतो, बू एक मेडिकल स्टोर कौ मालिक हतो । सबरी दवाइन की बाय अच्छी जानकारी हती । दश वर्षन कौ अनुभव हैबे के कारण बाय अच्छी तरह पतौ हतो कै कुनसी दवाई कितकूँ धरी है । बू या व्यवसाय कूँ बहौतई साबधानी व निष्ठा से करतौ हतो । दिनभर बाकी दुकान में भीड़ लगी रहती हती । बू ग्राहकन कूँ दैवे वारी दवाइन नैं बड़ी सावधानी और समझदारी से दैमत हतो परन्तु बाय भगवान पै नैकउ भरोशो नाँय हतो । चौं कै बू बहुत बड़ौ नास्तिक जो हतो । बाकौ जे माननौ हतो कै मानव मात्र की सेवा करनौ ही सब ते बड़ी पूजा है । इसी के चलते बू आवश्यक लोगन कूँ दवा निशुल्क दै दैमत हतो और समय मिलबे पै बू मनोरंजन हेतु अपने मित्रन के संग दुकान के बाहर “लूडो गेम” खेलतौ हतो ।
एक दिन अचानचक वर्षा हैमन लगी, बारिश के कारण दुकान में कोई नाँय हतो , फिर काह हतो, बिरजू नै अपने मित्र बुला लिए और सब लूडो खेलबे में व्यस्त है गए । तबई छोटौसौ लड़का बाकी दुकान में दवाई लैबे परचा लै कैं आयौ, बाकौ सबरौ शरीर भीज रह्यौ हतो । बिरजू लूडो खेलबे में इतनौ व्यस्त हतो की बाकी दृष्टि बा लड़का पै नाँय गयी हती । ठंड ते सिकुड़ते हुए बा बच्चा नै दवाइन कौ परचा आयगें बढ़ाते भये कही- “बाबूजी मोय जे दवाई चहियें, मेरी माँ बहौतई बीमार है, बिन्नै बचा लेओ । बाहर सब दुकान बारिश के मारें बन्द पड़ी हैं आपकी दुकान खुली देखकें मोय विश्वास है गयौ कै अब मेरी माँ बच जाएगी । बा लड़के की पुकार सुनकैं लूडो खेलत-खेलत बिरजू नै दवाई कौ परचा हाथ में लियौ और दवाई दैवे कूँ उठौ, जैसे ही बू दवा लैबे कूँ आयगें बढ्यौ फट्टई सीना बिजली चलै गयी परन्तु अपने अनुभव ते अंधेरे में ही दवाई की शीशी कूँ झट ते निकारकैं बा लड़का कूँ दै दई । दवा के पइसा दैकैं लड़का ख़ुशी-ख़ुशी बा शीशी लैकैं चलैगौ । अँधेरौ हैबे के मारें खेल बन्द है गयौ और सबरे मित्र घर कूँ चलै गए । अब बिरजू दुकान कूँ बन्द करबे की सोच रह्यौ हतो कै तबई बिजली आ गयी, बू जे देख कैं दंग रह गयौ कै मैंनै जो दवाई बा लड़का कूँ दई हती बू तौ मूसौ मारबे बारी दवाई हती । बा शीशी कूँ अबई-अबई कोई दूसरौ ग्राहक लौटाकैं गयौ हतो । लूडो खेलबे की धुन में जे सोच के बा दवा कूँ बानै सही जगह पै नाँय रख पायौ हतो । अब बाकौ दिल जोर-जोर ते धड़कबे लगौ, बाकी दश बर्ष की विश्वसनीयता पै मानौ ग्रहण सौ लग गयौ और लड़के के बारे में सोच कैं तड़पबे लगौ ।
जहरीली दवाई बा लड़का नै अपनी माँ कूँ पिला दई होयगी, बू अवश्य ही मर जाएगी जे सोच-सोच कैं अपने आप कूँ कोसबे लगौ और दुकान में लूडो के खेल के शौक कूँ छोडबे कौ निश्चय कर लियौ पर बू बात तौ बाद की हती, अब गलत दवा कौ काह करौ जाय?
बिरजू बा लड़का कौ पतौ ठिकानोंऊँ नाँय जानत हतो । सच में कितनौ विश्वास हतो बा बच्चा की नजरन में जे सोच कैं बू पल-पल मर रह्यौ हतो । घर जाबे की बाकी इच्छा अब ठंडी पड गयी हती, दुविधा व बेचैनी ने बिरजू कूँ चारों तरफ़ ते घेर रखौ हतो । घबराहट के मारें बू इत-बित देखबे लगौ ।
पहली बार श्रद्धा ते बाकी दृष्टि दीवार के बा कोने पै पड़ी, जांह बाके पिता नै जिद्द कर कैं “श्री बाँकेबिहारी कौ चित्र दुकान के उद्घाटन के वक्त लगा दियौ हतो, पिता ते भयी बहस में एक दिन बिन्नै बिरजू ते भगवान कूँ शक्ति के रूप में मानबे की मिन्नत करी हती । बिन्नै कही कै भगवान की भक्ति में बड़ी शक्ति हैमतै । बू हर जगह व्याप्त है और बिगड़े काम कूँ बनाबे की शक्ति हतै बिनमें । बिरजू कूँ जे सबरी बात याद आमत लग गईं । आज पहली बार बिरजू नै दुकान के कोने में धरी बा धूरभरी तस्वीर की ओर देख्यौ और हाथ जोड़ कैं, दोनों आँखन नै बन्द कर कैं वहीं खड्यौ है गयौ । नैक देर पीछैं बू छोटौ सौ लड़का भागतौ-भागतौ बाकी दुकान की तरफ आ रह्यौ हतो । बच्चा देख कैं बिरजू सोचबे लगौ कै अब तौ याकी माँ मर गयी होयगी, बाकौ रोम-रोम कांप उठौ , पसीना पौंछत भये संयम धर कैं धीरे ते बा लड़का ते पूछी, बेटा अब काह चहिए?
लड़के की आँखन में ते पानी छलकबे लगौ और बोल्यौ बाबूजी-बाबूजी… मैं भागत-भागत माँ कूँ दवाई लै जा रह्यौ हतो, घर के जौहरें पहुचते ही रिपट गयौ और हाथ ते दवाई की शीशी गिर कैं फूट गयी । अब तुम मोय बा दवाई कूँ दुबारा दैदंगे काह ? बिरजू जे सुनकैं हक्कौ-बक्कौ रह गयौ, जे तौ सचमुचई बाँकेविहारी कौ चमत्कार है । मन ही मन बिरजू नैं चैन की सांस लई और लड़के कूँ बोल्यौ कोई बात नाँय जे लै बेटा दवाई, संभल कैं लै जइयो और अपनी माँ कूँ पिला दीजो । बच्चा दवाई कूँ लै कैं माँ के पास पहुचौ, और जान बचा लई । दूसरी तरफ बिरजू की आँखन ते अविरल आँसून की धार बह निकरी और बाँके बिहारी को धन्यवाद कहत भये तस्वीर को पौंछने लगौ और माथे ते लगा कैं बैठ गयौ । आज बिरजू या चमत्कार कूँ बू अपने परिवार कूँ सुनावौं चहामतौ हतो, जल्दी ते दुकान बंद कर कैं घर की ओर चल दियौ । अब बाकी नास्तिकता की अंधेरी रात कौ अंत है गयौ ….(इसलिए हमको भी भगवान में विश्वास रखना चाहिए)  ।

साभार:- ओमप्रकाश शर्मा ब्रजवासी 


ब्रजभाषा सीखिए

ब्रज के भोजन और मिठाइयां

ब्रजभूमि का सबसे बड़ा वन महर्षि 'सौभरि वन'

ब्रज मेट्रो रूट व घोषणा

ब्रजभाषा कोट्स 1

ब्रजभाषा कोट्स 2

ब्रजभाषा कोट्स 3

ब्रजभाषा ग्रीटिंग्स

ब्रजभाषा शब्दकोश

आऔ ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रज की संस्कृति कू बचामें

ब्रजभाषा लोकगीत व चुटकुले, ठट्ठे - हांसी

मेरौ ब्रजभाषा प्रेम


ब्रजभाषा में कहावत पढ़िए

Hindi Kahavatein: हिंदी कहावतें -

आंधरेन में कानौ राजा/अंधों में काना राजा – मूर्खों में अल्पज्ञ की प्रतिष्ठा/मूर्खन में थोडौ सौ होशियार
अकेलौ चना भाड़ नाँय फोड़ सकै/अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता/अकेलौ आदमीं कछू बडौ काम नाँय कर सकै ।
अधजल गगरी छलकत जाय – थोड़ी विद्या या थोडौ
धन पावे वारौ व्यक्ति घमण्डी होतौ है ।
अब पछताये होत कहा जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत – मौका चूक जाने पर पछताना बेकार हैं/अवसर निकर जावे पै पछतावौ बेकार है।
आधौ तीतर आधौ बटेर – पूरी तरह ते काउ तरफ नाँय होनौ ।
आम के आम गुठलीन केऊ दाम – सभी प्रकार ते दूनौ लाभ उठानौ ।
आप भलौ तौ जग भलौ – खुद अच्छे तौ सब अच्छे ।
आँख कौ अंधा नाम नैनसुख – गुण के विपरीत नाम
आसमान ते गिररौ खजूर पै अटकौ – एक कष्ट ते निकरकर कैं दूसरी मुसीबत में पड़नौ ।
आगे कुआँ पीछे खाई –  दोनौं ओर ते कष्ट और दुविधा में ।
ईँट कौ जवाब पत्थर ते – ठोस उत्तर
उल्टॉ चोर कोतवाल कूँ डाँटे – कसूरवार स्वयं कसूर पकड़बे वारे कूँ डाँटै ।
ऊँट के मौह में जीरौ– जरूरत ते बहुतई कम
ऊँची दुकान फीके पकवान – सिर्फ बाहरी दिखावौ ।
कालौ अक्षर भैंस बराबर – अक्षर ज्ञान से बिल्कुल शून्य ।
कहा बरखा जब कृषि सुखाने – अवसर बीत जावे पै साधन बेकार है जामतैं ।
खोदौ पहाड़ निकरी चुहिया – परिश्रम की तुलना में फल बहुत कम
जो गरजतैं वे बरसत नाँय– जो बहुत बोलतौ है, बू काम काम करतौ है ।
गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से चेला तेज
घर का भेदी लंका ढाभै– आपस की फूट सबतेे बड़ी कमजोरी हैमतै ।
घर की मुर्गी दार बराबर – सहज प्राप्त वस्तु कूँ आदर नाँय मिलै ।
चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी हमेशा चौकन्ना रहमतौ है ।
जाकी लौठी वाकी भैंस – ताकतवर की जीत
जैसी करनी वैसी भरनी – जैसौ काम वैसौ फल
डूबते कूँ तिनके कौ सहारौ – असहाय के लिए थोड़ी सहायताउ काफी हैमतै ।
दूध कौ। जरौ मट्ठाउ फूंक फूंक कैं पीमतौ है – एक बार धोखौ खाबे के बाद आदमी हमेशा सतर्क रहमतौ है ।
देशी मुर्गी विलायती बोल – बेमेल
दूर के ढोल सुहावने – दूर की वस्तु के प्रति अधिक आकर्षण हैनौ ।
धोबी कौ कुत्ता न घर कौ न घाट कौ – कछू काम ना रहनौ।
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – थोड़े फायदे के लैं अधिक खर्च ।
पाँचों अंगुरियाँ घी में – चारों तरफ ते लाभ हैनौ ।
बन्दर कहा जानै अदरक कौ स्वाद – मुर्ख गुण की पहचान नाँय कर सकै ।
बिल्ली के गरे में घंटी – कठिन काम पूरौ करनौ ।
भई गति साँप छुछुदर जैसी – दुविधाजनक स्थिति
रस्सी जर गयी पर ऐंठ नाँय गयी – पतन हैैैबे के बादउ घमंड करनौ ।
सौ चूहे खायकैं बिल्ली चली हज कूँ – अत्यधिक पाप करबे के बाद दिखावटी भक्ति ।
साँप मरै ना लाठी टूटै – बिना किसी नुकसान के काम बन जानौ ।
हाथ कंगन कूँ आरसी कहा – प्रतक्ष्य कूँ प्रमाण की आवश्यकता नाँय हैबै ।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात – होनहार के लक्षण बचपन ते ही प्रकट हैबे लग पड़तें ।
अंधे के हाथ बटेर – मूर्ख के हाथन में मूल्यवान वस्तु
अंधे के आगे रोबौ – अन्यायी ते न्याय माँगनौ
अकल बड़ी या भैंस – बुद्धि बल  ते बडी हैमतै ।
अपनी ढफली अपनौ राग – सबकूँ अपनी-अपनी इच्छा ते काम करनौ ।
आप डूबे तो जग डूबा – बुरा आदमी सबकूँ बुरौ समझतौ है ।
आये थे हरिभजन कूँ बीनन लगे कपास – पूर्वनिश्चित कार्य कूँ छोड़ अनिश्चित काम में लगनौ ।
इतनी सी जान गजभर की जबान – देखबे में छोटॉ, लेकिन बात करबे में तेज ।
देखतैं ऊँट कितकूँ करवट करकैं बैठतौ है – कौन की जीत होयगी ।
ऊखल में सिर दियौ तौ मूसर ते चौं डरनौ– उत्तरदायित्व लैबे के बाद बाधान ते नाँय डर बौ ।
ओस चाटबे ते प्यास नाँय भुजै– अधिक  से कंजूस हैबै ते काम नाँय चलै ।
कभी घृत घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना – हर स्थिति में संतुष्ट रहनौ
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा – इत-बित ते लैं कैं कोई वस्तु तैयार करनौ/ मौलिकता कौ अभाव ।
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – छोटे की बड़ेन ते तुलना नाँय है सकै ।
काजल की कोठरी में धब्बे का डर – बुरी संगति कौ प्रभाव पडेगौ ही ।
काठ की हाँड़ी दुबारा नाँय चढै – छल कपट हमेशा सफल नाँय हैबै ।
कुत्ताउ पूँछ हिला कैं बैठतौ है – स्वच्छता सबकूँ प्रिय है ।
कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नाँय हैबै– दुष्ट अपनी दुष्टता नाँय छोड़ै ।
कुत्ते कूँ घी नाँय पचै – ओछौ आदमी अच्छी बातउ कूँ नाँय पचा सकै ।
खग ही जानै खग की  भाषा – जिनकौ जा चीज ते संबंध रहमतौ है, बू ही वाके बारे में बता सकै ।
खरी मजूरी चोखौ काम – पूरौ देनौ और पूरा काम लैनौ ।
गाँव का जोगी जोगना आन गाँव कौ सिद्ध – गुणन की पहचान अपनेन की अपेक्षा बाहरी लोग अधिक करतैं ।
गुरु कीजै जान, पानी पीजे छान – कोई भी चीज अच्छी तरह जाँचकर लेनी चहिए ।
बाजू में छोरा नगर में ढिंढोरा – जो पास में ही मौजूद हो वाय दूर खोजनौ ।
गीदड़ की जब शामत आमतै तौ बू गाँव की ओर भागतौ है – मुसीबत मनुष्य कूँ खींचतै ।
घर में नाँय भुनी भाँग , नगर निमंत्रण – मूर्खतापूर्ण दुस्साहस
चमड़ी जाय पर दमड़ी ना जाय– भारी कंजूस ।
चोर चोर मौसेरे भाई – एक व्यवसाय वारे आपस में मित्र हैैमतैं ।
चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर लौटे – लाभ के लोभ में हानि उठानौ ।
छछूदर की  टांट पै चमेली कौ तेल – अयोग्य के पास मूल्यवान वस्तु हैनौ ।
छोटे मियाँ तौ छोटे मियाँ बड़े मियाँ सुभान अल्ला – बडेन में छोटेन की अपेक्षा, अधिक बुराई करनौ
जंगल में मंगल – हर स्थिति में प्रसन्न रहनौ ।
जब नाचनौ है तौ घूंघट कैसौ – काम में लाज कैसी ।
जब तक साँस तब तक आस – अंतिम समय तक निराश न हैनौ ।
जल में रहकर मगर ते बैर – जाके अधीन रहनौ है बाते
बैर करबौ करनौ ठीक नाँय ।
जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि – कवि की कल्पना बड़ी तीव्रगामी हैैमतै ।
जा को राखे साइयाँ, मारि न सकै ना कोय – ईश्वर जाकौ सहायक है, वाकौ कोई कछू नाँय बिगाड सकै ।
जाकी जूती वाकौ ही सिर – अपनी ही वस्तु ते हानि ।
जा पत्तल में खानौ वा में छेद करनौ – कृतघनता
जैसौ देश वैसौ वेश – स्थान के अनुसार ही अपने आपकूँ रखनौ चहिए ।
जैसी बहे बयार तब तैसी पीठ आड़ – परिस्थिति के अनुसार ही नीति अपनानी चहिए ।
झूठ के पाँव कहाँ – झूठा आधार हमेशा कमजोर हैमतौ
टके की चटाई ना, नौ टका विदाई – लाभ ते हानि अधिक हैनौ ।
टेढ़ी अँगुरिया ते घी निकलतौ है – सीधेपन ते काम
नाँय चलै ।
ढाक के सदा तीन पात – एक ही स्थिति में हमेशा रहनौ ।
तेते पाँव पसारिये जेती लम्बी ठौर – हैसियत के बाहर काम नाँय करनौ चहिए ।
थोतौ चना बाजे घना – ओछे लोग अधिक आडम्बर क़रतैं ।
दीवार केउ कान हैमतैं– भेद खुलबे के अनेक रास्ते हैंमतें ।
दुधारु गाय की लात भी भली – जिससे फायदा हो वाकी फटकारउ अच्छी लगतै ।
दूध कौ दूध पानी कौ पानी – निष्पक्ष न्याय
दोनों हाथन में लड्डू – दो तरफा लाभ
नदी औऱ नाव कौ संयोग – दुर्लभ मिलाप
न रहेगौ बाँस न बजैगी बाँसुरी – झगडे की जड कूँ समाप्त करनौ ।
नाच न जाने आँगन टेडॉ – अपने अज्ञान कौ दोष दूसरेन पै मढ़नौ ।
नाम बड़े पर दर्शन छोटे – गुणन की अपेक्षा प्रशंसा अधिक ।
नाच न जानै आँगन टेडॉ – अपने अज्ञान का द्वेष दूसरेन पै मढ़नौ ।
नाम बड़े पर दर्शन छोटे – गुण की अपेक्षा प्रशंसा अधिक ।
नौ नगद न तेरह उधार – अधिक उधार ते थोडॉ नगद अच्छौ हैमतौ है ।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे – दूसरेन कूँ उपदेश दैबे वारे बहुत हैं, स्वंय काम करबे वारे बहुत कम हैं ।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख – अपनों स्वाभिमान छोड़ कैं कर माँगबे ते अनादर हैमतौ है ।
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा – अच्छौ
मौकौ मिलनौ ।
बीति ताहि बिसारि दे, आगे की सुध लेय – बीती हुई घटना पै पछताबे के बदले भविष्य की चिंता करनी चाहिए
भैंस के आयगें बीन बजानौ– मूर्ख
पै उपदेश कौ कोई असर नाँय हैबै ।
मन चंगा तौ कठौती में गंगा – मन की पवित्रता ही सबसे बड़ा पुण्य है
मान न मान मैं तेरा मेहमान – जबर्दस्ती काउ के ऊपर मढनौ ।
मार के डर से भूत भागे – दुष्ट व्यक्ति दुष्टता ते ही सीधे हैमतैं ।
मानो तो देवता नाँय तौ पत्थर – विश्वास ही सबकुछ है
मुख में राम बगल में छूरी – कपटी या धोखेबाज आदमी ।
राम नाम जपना पराया माल अपना – कपट ते दूसरेन कौ धन हड़पनौ ।
लगा तो तीर नाँय तौ तुक्का – अंदाजे ते काम करबौ ।
साँच कूँ आँच कहाँ – सच कूँ काऊ कौ डर नाँय हैबै ।
सावन के अंधे कूँ हरौ ही हरौ सूझतौ है – अमीर सबकूँ अमीर समझतौ है ।
सुनौ सब की करौ मन की – सबकौ मन लेेनौ चहिए, लेकिन वही करनौ चहिए जाय अपनौ मन स्वीकार करै ।
सौ चोट सुनार की एक चोट लुहार की – कमजोर के अनेक अपराधन की सजा बलवान एक ही बार में दै दैमतौ है ।
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और – कहने कूँ कछू करने को कछू और
हीरे की परख जौहरी जानै – गुण की परीक्षा गुणी ही कर सकतौ है ।
Advertisements