Brajbhasha Part Of Speech-
Noun
काउ व्यक्ति, स्थान, वस्तु आादि के नाम कूँ संज्ञा कहमतें |
जैसे-कमला, रोहन, मुंबई, गाय-गैया, चूहा-मूसौ, बैल-बिजार, बछड़ा-जैंगरा, नेवला-न्यौरा, तोता –हरिया
चिड़िया-चिरैया, ट्रेक्टर- टैकटर, बाइक- मोटर साईकिल , टेम्पो-टम्पू , बघ्घी-बुग्गी , भूसा –भुस, चावल-चामर
बाजरा-बाजरौ, ज्वार चरी , बरसीम -बरसम, भैंस का बच्चा – पड्डा, सियार-सियारिया, नील गाय -रोज
बकरी-बकरिया, मंदिर-मिन्दर , गोवर्धन – गोधन, वृन्दावन-बिन्दावन, बलदेव-दाऊजी, मोर-मोरा , मथुरा-मथरा
संज्ञा कैउ (निरी ) प्रकार की हैमतैं-
संज्ञा के भेद –
भाववाचक संज्ञासंख्यावाचक संज्ञालिंगवाचक संज्ञासमूहवाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा-बा शब्द कूँ कहमतें जाकौ उपयोग काउ गुण या स्थिति कौ वर्णनन एक वस्तु की तरह करतें |
जैसे-दूसरेन कौ भलौ करबौ अच्छाई कहलाबै |
या वाक्य में अच्छाई भाव भाववाचक संज्ञा ऍह |
अच्छाई, सफेदी, इमान्दारी, बहादुरी, प्रसन्नता, हरकत, बचपन, युवावस्था, गरीबी आदि |
संख्यावाचक संज्ञा-या तरह की संज्ञा बिन शब्दन के बारे में बतामते जो गिनती की जानकारी दैमतें |
जैसे- दो छोरा गाम की ओर जारे ऍह |
लिंगवाचक-व्यक्ति, पशु या वस्तु के लिंग की जानकारी मिलतै |
जैसे-छोरा स्कूल कूँ गए हतें | या वाक्य में छोरा पुल्लिंग ऍह |
समूहवाचक संज्ञा-कछु बस्तून और व्यक्तिन कौ जिक्र एक साथ करने के लैं याकौ प्रयोग करतें |
जैसे- भैंसन कौ झुण्ड बम्मा में नहारौ ऍह |
वचन – दो प्रकार के हैमतैं
एकवचन- एकवचन में केवल एक जाती,वास्तु,गुण आदि कौ बोध हैमतौ ऍह |
बहुवचन- बहुवचन दो या दो ते ज्यादा(कैउ) बस्तुन या गुणन कौ बोध हैमतौ ऍह |
ब्रजभाषा में शब्द के पीछें “न” लगाबे तेई बहुवचन बन जामतौ ऍह |
जैसे-
चिरैया -चिरैयान कार-कारन भैंस -भैंसन किताब-किताबन
उदा ०- मेरी सब किताबन नै या किताबन कूँ मेरे थैला में रख देऔ |
सबरे गेहूं के दाने तौ चिरैयान नै चुग लिए |
कुत्तान नै/कूँ तौ घूंसबे की तौ बहौतई बुरी टेब ऍह -कुत्तो को भौकने की तो बहुत ही बुरी आदत है |
PRONOUN-
संज्ञा की जगह पै प्रयोग करबे बारे शब्दन कूँ सर्वनाम कहमतें |
जैसे-
वह – वह-बू, उस -बा, उसे -बाय , वे-बे,,उसका -बा कूँ या बाकौ उसी को- बाई कूँ,उनको- बिन कूँ या बिन्नै
तुम – तोय या तू , तुम्हें -तुझे,तुमको ही- तुमकूँ ई या तोकूँ ई ,तेरे लिये-तेरे काजें या तिहारे लैं, तूने-तैनैं
इस – या, इसे-याय,इसी -यायी,इसी कूँ-यायी कूँ, इसी के लिए -यायी के मारें ,इसी की बजह से- यायी के मारें,इनको-इनकूँ या इन्नै,इसका-या कूँ, या याकौ,इसी को-याई कूँ
हम – हम,हम ही-हमई,हम भी-हमउ ,हम से-हम ते, हमारा-हमारौ, हमको-हमकूँ, हमारे लिए-हमारेउ काजें
मैं – मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं, मुझ से- मो ते
भी- उ, ही-ई, मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई, मेरे लिए -मेरे काजें,मुझ को ही- मो कूँ ई
की बजह से- के मारें
के लिए -के काजें ,से- ते
जिस– जा जिसका-जाय या जाकौ
इधर– इतकू या इत्ते या इल्लंग, उधर बितकू या बित्ते या पल्लंग, यहाँ- इतकूँ वहां -बितकूँ
सर्वनामउ निरे प्रकार के रहमतें –
व्यक्तिवाचक सर्वनाम- बू, बे, मैं, तोय आदि जैसे शब्दों को व्यक्तिवाचक सर्वनाम या Personal Pronoun कहमतें, चौंकि ये शब्द सूदे सूदे काउ व्यक्ति या वस्तु कौ ग्यान करबामतैं |
जैसे-बू और मोहन मिलकें अच्छौ काम करतें |
संकेतवाचक सर्वनाम- या सर्वनाम के रूप में या बा, याय, बाय शब्दन कौ प्रयोग जो काउ वस्तु/वस्तुन की ओर संकेत करबे के लैं करौ जामतौ ऍह, तौ बिन्नै संकेतवाचक सर्वनाम कहमतें |
जैसे-कोई व्यक्ति इतकूँ आ रौ ऍह |
बू मेरौ गाम वैसौ नाँय जैसौ तुम सोचरे ऍह |
अनिश्चयवाचक सर्वनाम- कभऊ कभऊ वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम काउ विशेष वस्तु या व्यक्ति कूँ नाँय दर्शाबै, बाकौ उपयोग एक सामान्य तौर पै करौ जामतौ ऍह ऐसे सर्वनाम कूँ अनिश्यवाचक सर्वनाम कहमतें |
जैसे-कछु आदमी बहौत अच्छे हैमतें |
कोई कोई बाकी दुःख की नाँय सुनरौ |
प्रश्नवाचक सर्वनाम- इन्नै प्रश्न पूछबे के लैं प्रयोग करौ जाय |
जैसे-
को ऍह तू ?
कुनसे कौ ऍह ई पेन ?
चौं आजकल्ल के छोरांन /छोट्टन नै बुरी टेब पररई ऍह ?
VERB-
काउ बस्तु या चीज के बारे में कहबे के लैं याकौ प्रयोग हैमतौ ऍह |
क्रिया के कैउ (निरे ) प्रकार ऍह-
अकर्मक क्रिया।
सकर्मक क्रिया।
द्विकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया- जिन क्रियान कौ असर “कर्ता ” पै परतौ ऍह, बू अकर्मक कहलामतें |
जैसे-
राकेश रोमतौ ऍह |
पप्पू खामतौ ऍह |
उदा०–खाना=खानों पीना-पीनौ रहना-रहनौ सोना-सोनौं काटना-काटनौ चलना-चलनौ
सकर्मक क्रिया-जिन क्रियान कौ असर “कर्म ” पै परतौ ऍह, बू सकर्मक कहलामतें |
जैसे-
मैं लेख लिखतौ ऊँह |
मीरा फल लामतै |
द्विकर्मक क्रिया- जिन क्रियान में दो कर्म हैमत होंय,बाय द्विकर्मक क्रिया कहमतें |
जैसे-
मैंने रामें पुस्तक दई या मैंने राम कूँ पुस्तक दई |
दददू नै मो पै ते पइसा लिए |
प्रेऱणार्थक क्रिया बनाबे के नियम- ज्यादातर धातून ते दो-दो प्रेरणार्थक क्रिया बनतैं | जैसे- गिरना-गिरवाना , चढ़ना-चढ़वाना, पीटना-पिटवाना, लूटना-लुटवाना आदि |
अन्य-
जैसे-सुरेश कलेऊ (नाश्ता) कर रौ ऍह |
हरी लड्डू खा रौ ऍह |
चिरैया आसमान में उड़ रई ऍह |
घोडा घास चर रौ ऍह |
छोरा सबन के ऊपर गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |
गुरु जी बन्दरन नै तार (भगा) रे ऍह |
बू बापै भैरा रौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
छोरी बाहर जाबे कौ मूडौ बना रई ऍह |- (लड़की बाहर जाने का बहाना बना रही है |
Causative verbs –
या प्रकार के वाक्यन में कर्ता कोई काम अपने आप ना करकें ,कोई दूसरे ते करबामतौ ऍह |
उदा०-भगबायौ,पिटबायौ ,कुचलबायौ,सरकबायौ, खबबायौ,नहलबायौ आदि |
जैसे-
कल्लू छाछ महेरी कौ कलेऊ लैंकै बारेन (पास के खेत ) तानीपहुँचबा देगौ |
आज ई सबरे घर के कूरे (कूड़े ) कूँ बहार फिकबा दंगो |
छापौ परबे ते पहलें कागजन नैपजरबा (जलना ) दंगो |
हमारे यांह आ जइयो मैं तोय रोटीखबबा (खिलबा) दंगो |
गाम के प्रधान नै मजदूर पिटवाये |
Adjective-
कोई शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतामत होय, बाय विशेषण कहमतें |
जैसे- बू एक ज्वान छोरा ऍह |
कछु विशेषण शब्द नीचे दिए जा रे ऍह-
खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ, मीठा-मीठौ
कला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ
अच्छा- नेक, सुन्दर-मलूक, चतुर-चालाक
शरारती-निकममौ या बेहया, नुकीला-पैनौ
विशेषण के कैउ प्रकार हैमतैं –
गुणवाचक विशेषण
समूहवाचक विशेषण
संकेतवाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण
गुणवाचक विशेषण- संज्ञा के गुण या प्रकार कूँ दिखाबे बारे शब्दन कूँ गुणवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- दिल्ली बहौत बड़ौ शहर ऍह |
समूहवाचक विशेषण- जिन शब्दन के द्वारा सामूहिक संख्या कौ बोध होय,बाय समूहवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे-दो आदमी सुरेश के संग कलेऊ (नाश्ता) कर रे ऍह |
संकेतवाचक विशेषण- जिन शब्दन संकेत में कौ बोध होय,बाय संकेतवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- बू आदमी स्वभाव में बड़ौ अच्छौ ऍह |
परिमाणवाचक विशेषण- जिन शब्दन में नाप-तौल कौ बोध होय,बाय परिमाणवाचक विशेषण कहमतें |
जैसे- मोय दो मीटर लत्ता चहियै |
संज्ञा से विशेषण बनानौ –
प्रत्यय संज्ञा विशेषण
क –
अंश-आंशिकधर्म धार्मिकअलंकार -आलंकारिकनीति-नैतिकअर्थ-आर्थिकदिन-दैनिकइतिहास- ऐतिहासिकदेव-दैविकइत-अंक-अंकितकुसुम-कुसुमितसुरभि-सुरभितध्वनि-ध्वनितक्षुधा-क्षुधिततरंग-तरंगितइल-जटा-जटिलपंक-पंकिलफेन-फेनिलउर्मि-उर्मिलइम-स्वर्ण-स्वर्णिमरक्त-रक्तिमई-रोग-रोगीभोग-भोगीईन-कुल-कुलीनAdverb-
क्रिया की विशेषता बताबे बारे शब्द कूँ क्रिया-विशेषण कहमतैं |
जैसे-
जल्दी-बेगि बड़ा-बड़ौ खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ मीठा-मीठौ कला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ अच्छा- नेक सुन्दर-मलूक शरारती-निकममौ या बेहया नुकीला-पैनौ चतुराई -चालाकी
ई कैउ प्रकार कौ हैमतौ ऍह-
स्थानवाचक
कालवाचक
परिमाणवाचक
दिशावाचक
रीतिवाचक
स्थानवाचक- काउ स्थान कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- बू यही कहीं छिपौ ऍह |
यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर
कालवाचक- समय कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- मैं दिल्ली कूँ कल जांगो |
आज, कल, परसों, पहले, पीछे, अभी
परिमाणवाचक- मात्रा या निश्चित संख्या कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- घर के बाहर मेह पररौ ऍह |
बहुत, अधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल
दिशावाचक- काउ क्रिया की दिशा कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- हम दोनों एक दूसरे के दांये -बांये चलेंगे |
दायें-बायें, इधर-उधर, किधर, एक ओर, चारों तरफ़
रीतिवाचक- काउ रीति कौ बोध कराबे बारे शब्दन नै,स्थानवाचक कहमतें |
जैसे- बापै सचमुच गानों गाबौ आमतौ ऍह |
सचमुच, ठीक, अवश्य, कदाचित्, यथासम्भव
अन्य उदाहरण-
राजू बहौतबेगि दौड़तौ ऍह |
यांह बेगि शब्द दौड़बे ( क्रिया ) की बिशेषता बतारौ ऍह
चिरैया आसमान में ऊंची उड़ रई ऍह |घोडा हरी घास चर रौ ऍह |छोरा सबन के ऊपर रंग-बिरंगी गुलाल भुरक (उड़ेलना) रौ ऍह |गुरु जी बन्दरन नै मोटे बारे डण्डा ते तार (भगा) रे ऍह |बू बापै बड़े-बड़े ढिले (मिटटी के टुकड़े ) फैंकरौ ऍह – (वो उस पर गुस्सा निकल रहा है)
conjuction-
जब दो या दोन ते ज्यादा शब्दन कूँ या वाक्यन कूँ जोङतौ ऍह । बाय समुच्चयबोधक कहमतें |
कछु शब्द या प्रकार ऍह-
तब,और,बरना,इसलिए,ताकि,चूँकि,अथवा,अन्यथा,एवं,तौ,फलतः, ,परन्तु, पर, किन्तु, मगर यदि….तो, जा…तो, यद्यपि….तथापि, यद्यपि…परन्तु आदि।
जैसे-
तू चाहमतौतौ तौ बू कल आ जामतौ |
दोऔर दो चार हैमतें |
रोहन आगरा जा रौ ऍहमगर मोहन दिल्ली कूँ |
मैं पढ़नौ चहामतौ ऊँहपर किताबन ते नाँय सिर्फ ऑनलाइन ई |
राहुल आज विष्णु केसंग पोखर पै गयो ऍह |
Note-
Conjunctions की ई तरह relative pronouns, relative adverbs और prepositions ऊ शब्दन या वाक्यन कूँ जोड़ने कौ काम करतें | यालैं (इसलिए इन्नै अलग अलग चिन्हित करते समय सावधानी बर्तनों जरुरी ऍह |
preposition-
बे शब्द या बिन शब्दन कौ समूह जो काउ संज्ञा या सर्वनाम ते पहले लगाए जामतें और बू सम्बन्धसूचक बा संज्ञा या सर्वनाम कौ सम्बन्ध काउ दूसरे शब्द ते प्रदशित करतें |
या यौंह कह सकैं कै “बू वाक्य जामें गहरी अनूभूति हो बाय विस्मयादिबोधक कहमतें” |
जैसे- कौ,की,के,भी,लिए,और आदि
बू किसान खेतमें काम करतौ ऍह |
बबलू पोखरके अंदर नहारौ ऍह |
राम, श्यामकौ बहौत बडे मित्र ऍह |
राम की मोय नाँय पतौ , बू घर ते बाहर ऍह |
राम अपने घर वारेन के संग सबरे सामान समेत गयौ ऍह |
यांह जो ऊपर गहरे शब्द ऍह, बे सब सम्बन्धबोधक ऍह |
“भी” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “उ” लगाबे ते हिंदी के “भी” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
जैसे-
महादेवउ और रमेशउ दिल्ली कूँ जांगे |-महादेव भी रमेश भी दिल्ली को जाएंगे
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
मैं खाबे कूँ तोकूँ चीनीउ और बुरौउ दंगो |
रेलउ और बसउ दोनोंई खचाखच भरी भयीं हती |
तूउ और मैंउ संगई संग जांगे |
याकेउ छोरा कौ नाम कान्हा ऍह और बाकेउ छोरा कौ नामउ कान्हा ऍह |
“ही” अक्षर कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “ई” लगाबे ते हिंदी के “ही” शब्द के हांई काम करतौ ऍह |
जैसे-
गोविन्दई जायगौ गोकुल ते बल्देब कूँ दूध लैंकैं |
सबरी चीजन नै तौरामई कूँ दियायौ ऍह, मोकूँ तौ तैनैं झुनझुना पकरा दियौ ऍह |
एक तूई ऍह जो मेरे हाँईं ऍह जो कछु मेरीउ सुन लैमतौ ऍह |
सब कहमतें कै भगवान तौएकई ऍह, जबउ पतौ नाँय आदमी धर्म कूँ लैकें चौं लडतें |
“मॉंऊँ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “मॉंऊँ” लगाबे ते हिंदी के “तरफ या ओर” शब्द के हांई आबाज पैदा करतौ ऍह |
जैसे-
बाकी मय्यो तेरी मय्यो केहाईं नाँय, बा ते सौबट चोखी ऍह |
भारत चीन केहाईं बड़ौ देश ऍह |
“मारें ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “मारें ” लगाबे ते हिंदी के ” बजह ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
आज तेरी इन गलतीन के मारें मोय यहाँ आनौ परौ ऍह |
दुनिया में पाकिस्तान कौ नाम आतंकवाद केमारें बदनाम भयौ परौ ऍह |
“कूँ या ‘के लैं’ ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “कूँ ” लगाबे ते हिंदी के ” को ,के लिए ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
आज तेरी इन गलतीन केमारें मोय यहाँ आनौ परौ ऍह |
आज सबरे कामन नै तोकूँ दंगो, चौंकै मौ कहूँ बाहर जानौ ऍह |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीन नै विकास के लैं तौ बेर बेर में इत ते बित कूँ जानौ पररौ ऍह |
” पै ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “पै ” लगाबे ते हिंदी के ” पर ” शब्द के हांई आबाज निकरतै |
जैसे-
तोपै, हम पै, सब पै, और या देश रहबे बारे सबरे आदमीं पै देश की मट्टी कौ कर्ज ऍह |
यांह जितनेउ लोग ठाड़े ऍह बिन सबरेनपै ते १००-१०० रुपैयान की उगाही कर लेऔ |
” संग ” शब्द कौ प्रयोग-
काउ शब्द के पीछैं “संग ” लगाबे ते हिंदी के ” साथ ” शब्द की आबाज निकरतै |
जैसे-
बहु अपने दूल्हा केसंग खेतन नै देखबे जा रही है |
हमें गरीब लोगन कौ संग देनौ चइयै |
Interjection-
विस्मयादिबोधक कौ प्रयोग “जिया” में (हृदय में) एकदम या अचांनचक्क हैबे बारी भावनान कूँ ऊ बताबे के लैं हैमतौ ऍह |
या यौंह कह सकैं कै “बू वाक्य जामें गहरी अनूभूति हो बाय विस्मयादिबोधक कहमतें” |
जैसे-
अरे! (उरे )
काश!
वाह!
हाय
(1) हर्षबोधक- अहा ! धन्य !, वाह-वाह !, ओह ! वाह ! शाबाश !
(2) शोकबोधक- आह !, हाय !, हाय-हाय !, हा, त्राहि-त्राहि !, बाप रे !
(3) विस्मयादिबोधक- हैं !, ऐं !, ओहो !, अरे, वाह !
(4) तिरस्कारबोधक- छिः !, हट !, धिक्, धत् !, छिः छिः !, चुप !
(5) स्वीकृतिबोधक- हाँ-हाँ !, अच्छा !, ठीक !, जी हाँ !, बहुत अच्छा !
(6) संबोधनबोधक- रे !, री !, अरे !, अरी !, ओ !, अजी !, हैलो !
(7) आशीर्वादबोधक- दीर्घायु हो !, जीते रहो !
उदाहरण –
उरे ! ई तौ बहौत मलूक ऍह |
वाह: ! कितनौ अच्छौ मौसम ऍह ।
हाय ! इतनी कर्री टक्कर भयी, कै मेरे अबउ पाम कांप रे ऍह |
बाप रे बाप ! तैनैं ई काह कर डारौ |
हाँ जी ! तुम या काम कर सकतें |