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Friday, 2 June 2023

BrajbhashaBhashi Pradesh

 Brajpradesh (ब्रज प्रदेश) is a region comes in   4 states Uttar Pradesh, Rajsthan, Madhya Pradesh, Hariyana of India. Braj, though never a clearly defined political region in India but is very well demarcated culturally; and it is considered to be the land of Krishna, and the place's name is derived from the Sanskrit word Vraja. The main religious city in the region is Mathura. Other Names- ब्रजक्षेत्र, ब्रजांचल, ब्रजप्रांत, ब्रजप्रदेश आदि । 


           ब्रजप्रदेश का नक्शा: Map of BrajPradesh 


ब्रजप्रदेश की राजधानी मथुरा ( ब्रज ८४ कोस)

*BrajPradesh Geographical Distribution:-* मंडल/संभाग- 6 ( लगभग 25  जिले), वर्तमान में ४ राज्यों में फैला हुआ #BrajPradesh


🔹( हरियाणा)

A- फरीदाबाद मंडल :-  फरीदाबाद, पलवल, नूह (मेवात)

🔹( मध्यप्रदेश)

B- चंबल संभाग  :-  श्योपुर, भिंड, मुरैना

C- ग्वालियर संभाग :- केवल ग्वालियर जिला 

🔹( राजस्थान)

D- भरतपुर संभाग :-  भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली 

🔹उत्तरप्रदेश:-

E- बरेली मण्डल:-  बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर

F- आगरा मण्डल:-  आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा🎈

G- अलीगढ़ मंडल:- कासगंज, हाथरस, एटा, अलीगढ

 H- मेरठ मण्डल:-  गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर

I-   मुरादाबाद मण्डल :- संभल


( थोड़ा सा मेरठ मण्डल (गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर का आधा क्षेत्र) और मुरादाबाद मण्डल का हिस्सा भी आता है (संभल जिला का कुछ हिस्सा) 15 जिले लगभग।


जिले का नाम उत्पाद का नाम

आगरा              चमड़ा उत्पाद

अलीगढ़              ताले एवं हार्डवेयर

बदायू              ज़री जरदोज़ी उत्पाद

बरेली              ज़री-ज़रदोज़ी

बुलंदशहर              सिरेमिक उत्पाद

एटा                      घुंघरू, घंटी एवं पीतल उत्पाद

फरुखाबाद वस्त्र छपाई

फ़िरोज़ाबाद कांच के उत्पाद

गौतमबुद्ध नगर रेडीमेड गार्मेंट

संभल              हस्तशिल्प (हॉर्न-बोन)

हाथरस              हैंडलूम

कासगंज              चमड़ा उत्पाद

मैनपुरी              कालीन

मथुरा              धातु शिल्प

पीलीभीत।    वस्त्र उत्पाद

शाहजहांपुर ज़री-ज़रदोज़ी


*आगरा संभाग*

1- Mathura:- मथुरा (Mathura) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक नगर है। मथुरा ऐतिहासिक रूप से कुषाण राजवंश द्वारा राजधानी के रूप में विकसित नगर है। उससे पूर्व भगवान कृष्ण के समय काल से भी पूर्व अर्थात लगभग 7500 वर्ष से यह नगर अस्तित्व में है। यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, चैतन्य महाप्रभु आदि से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है।



गरुडपुराण' में इनके नाम इस क्रम से वर्णित हैं - इनमें मथुरा का स्थान अयोध्या के पश्चात अन्य पुरियों के पहिले रखा गया है। पदम पुराण में मथुरा का महत्व सर्वोपरि मानते हुए कहा गया है कि यद्यपि काशी आदि सभी पुरियाँ मोक्ष दायिनी है तथापि मथुरापुरी धन्य है। यह पुरी देवताओं के लिये भी दुर्लभ है। इसी का समर्थन 'गर्गसंहिता' में करते हुए बतलाया गया है कि पुरियों की रानी कृष्णापुरी मथुरा बृजेश्वरी है, तीर्थेश्वरी है, यज्ञ तपोनिधियों की ईश्वरी है यह मोक्ष प्रदायिनी धर्मपुरी मथुरा नमस्कार योग्य है। तहसील 5, विकास खंड 10, नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत 15, थाना 22 , ग्राम पंचायत 504, ग्राम 880, क्षेत्रफल 3340 Sq. Km, जनसंख्या 25,47,000 ।

2- Agra- आगरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा ज़िले में यमुना नदी के तट पर स्थित एक नगर है। यह राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के २०६ किलोमीटर (१२८ मील) दक्षिण में स्थित है।


भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार १५,८५,७०४ की जनसंख्या के साथ आगरा उत्तर प्रदेश का चौथा और भारत का २३वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है । की स्वतंत्रता के बाद से ही आगरा उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा है और धीरे-धीरे एक औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हुआ है, जिसने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन, हस्तशिल्प, जरी और जरदोजी (कढ़ाई का काम), संगमरमर और पत्थर की नक्काशी संबंधित उद्योग भी स्थित हैं। आगरा अपनी मिठाइयों (पेठा और गजक) और स्नैक्स (दालमोठ), कपड़ा निर्माताओं और निर्यातकों और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए जाना जाता है। इसे ताजनगरी के नाम से जाना जाता है। ताजमहल के अतिरिक्त यहाँ पर लालकिला, जामा मस्जिद, एत्माउद्दौला का मकबरा, अकबर का मकबरा, रामबाग, दयालबाग,  फतेहपुर सीकरी भी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं। इस जिले का कुल क्षेत्रफल 4027 वर्ग किमी है। आगरा में 906 गाँव और कुल 06 तहसीलें – सदर, फतेहाबाद, किरावली, खेरागढ़, बाह, एत्मादपुर हैं।

3- Firozabad:- फ़िरोज़ाबाद (Firozabad) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 19 यहाँ से गुज़रता हैं । फिरोजाबाद आगरा डिवीजन के अंतर्गत आता है। इसमें कुल 05 तहसीलें – सदर, टूंडला, शिकोहाबाद, जसरना, सिरसागंज हैं। यह चूड़ी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला चूड़ियों के लिए प्रसिद्द है।

एक नज़र में...

क्षेत्र: 2362 Sq. Km.

आबादी: 24,98,156

भाषा: हिंदी/ब्रजभाषा 

पुरुष: 13,32,046

महिला: 11,66,110

लोक सभा: 1

विधान सभा: 5

तहसील: 5

ब्लॉक: 9

स्थानीय निकाय: 7

ग्राम पंचायत: 564

गाँव: 806

पुलिस स्टेशन - 21

4- Mainpuri:- मैनपुरी (Mainpuri) भारत के उत्तर प्रदेश मैनपुरी ज़िले में स्थित एक नगर है। मैनपुरी में कुल 06 तहसीलें – मैनपुरी, भोंगाव, करहल, किशनी, कुरावली, घिघोर हैं। इसका क्षेत्रफल 2760 वर्ग किमी है।

 यह ज़िले का मुख्यालय भी है। मैनपुरी आगरा मण्डल का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। किलों के लिए प्रसिद्ध मैनपुरी उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है।

*अलीगढ़ संभाग*

5- Hathras:- हाथरस (Hathras) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हाथरस ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह जिला 1800 वर्ग किमी में विस्तृत है। हाथरस में कुल 04 तहसीलें – सदर, सासनी, सादाबाद, सिकंदराराऊ हैं। इसमें कुल 683 गाँव आते हैं।


6- Aligarh:- अलीगढ़ (Aligarh), जिसका प्राचीन नाम कोइल (Koil) या कोल (Kol) था, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक नगर है। यह अलीगढ़ ज़िले और उस ज़िले की कोइल तहसील का मुख्यालय भी है। अलीगढ़ में कुल 05 तहसीलें कोल, अतरौली, खैर, इगलास, गभाना हैं।  जिले में 1210 गांव हैं। जिले का क्षेत्रफल 3650 वर्ग किलोमीटर हैं।


अलीगढ़ दिल्ली से 130 किमी दक्षिणपूर्व और लखनऊ से 342 किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और यहाँ बनने वाले पारम्परिक तालों के लिए जाना जाता है।

7- Kasganj:- कासगंज (Kasganj) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कासगंज ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। कासगंज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, एटा से लगभग 32 किलोमीटर उत्तर, काली नदी के किनारे स्थित एक शहर है। जिले का क्षेत्रफल 1993 वर्ग किलोमीटर है। महाकवि तुलसीदास जी का जन्म इसी जिले के सोरों नामक स्थान पर हुआ।


8- Etah :- एटा उत्तरप्रदेश राज्य का एक प्रमुख जिला और शहर है, एटा में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें मंदिर और अन्य महत्त्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं। 


एटा के आस-पास भी कई आकर्षक स्थान है, जैसे कि अवागढ़, जलेसर,सकीट और कादिरगंज, जो एटा जिले के आसपास स्थानीय पर्यटन आकर्षणों के लिए भी जाने जाते हैं। एटा में पर्यटन केवल अपने खूबसूरत स्थानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एटा में लोकप्रिय मेलों, त्योहारों और खाद्य पदार्थों तक भी फैला हुआ है। एटा को 08 विकासखंडो के अंतर्गत 892 गांवों में विभाजित किया गया है। इसका क्षेत्रफल 4446 वर्ग किमी है।


*बरेली संभाग*

9- Shahjahanpur:- शाहजहाँपुर (Shahjahanpur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के शाहजहाँपुर ज़िले में स्थित एक महानगर और नगर निगम है। इस नगर की स्थापना जहांगीर के सैनिक दिलेर खान और शेर बहादुर खान ने की थी। इस जिले में कुल 2299 गाँव और 04 तहसीलें सदर, तिलहर, पुवायां, जलालाबाद हैं। इस जिले का क्षेत्रफल 4575 वर्ग किलोमीटर है।


यह ज़िले का मुख्यालय भी है। शाहजहाँपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर बरेली और लखनऊ के बीच में है। यह गर्रा नदी के किनारे बसा हुआ है, जो गंगा नदी की एक उपनदी है।

10- Pilibhit:- पीलीभीत एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। पीलीभीत जिला 3499 वर्ग किमी में विस्तृत है इसमें 05 तहसीलें, 07 ब्लॉक और कुल 1440 गाँव हैं। पीलीभीत में कुल 05 तहसीलें – सदर, बीसलपुर, पूरनपुर, अमरिया, कलीनगर हैं। पीलीभीत में 07 ब्लॉक – अमरिया, बीसलपुर, पूरनपुर, बिलसंडा, बरखेड़ा, मरौरी, ललौरीखेड़ा हैं।




11- Bareilly:- भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित बरेली जनपद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के बीचों-बीच स्थित है। 


प्राचीन काल से इसे बोलचाल में बांस बरेली का नाम दिया जाता रहा और अब यह बरेली के नाम से ही पहचाना जाता है। इस जनपद का शहर महानगरीय है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा नगर और भारत का ५०वां सबसे बड़ा शहर है।

 रामगंगा के तट पर बसा यह जिला रुहेलखण्ड के ऐतिहासिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह दियासलाई उद्योग और मांझा उद्योग का प्रमुख केंद्र है। शहर के प्राचीन शिव मंदिरों धोपेश्वरनाथ, मढ़ीनाथ, अलखनाथ, त्रिवटी नाथ, वनखण्डी नाथ मंदिर के कारण इसे नाथनगरी के नाम से भी जाना जाता है।2011 के अनुसार इसकी जनसंख्या 44,48,359 है। इसके अंतर्गत 06 तहसीलें, 20 नगर निकाय, 2070 गाँव आते हैं। बरेली में 06 तहसीलें – सदर, बहेड़ी, मीरगंज, नवाबगंज, फरीदपुर, आंवला हैं। बरेली जिले में कुल 29 थाने हैं । जिले का क्षेत्रफल 4120 वर्ग किलोमीटर है।

12- Badaun:- बदायूँ (Budaun) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बदायूँ ज़िले में स्थित एक नगर है। 

यह ज़िले का मुख्यालय भी है और एक लोकसभा निर्वाचनक्षेत्र है। बदायूँ गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। बदायूँ जिले का कुल क्षेत्रफल 4134 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 31,29,000 है। बदायूँ में कुल 05 तहसीलें – बदायूँ सदर, दातागंज, सहसवान, बिल्सी, बिसौली हैं।

 

* मेरठ संभाग*

13- BulandShahar:-बुलन्दशहर का प्राचीन नाम बरन था। इसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिबरन नाम के राजा ने की थी। 

बुलन्दशहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी था जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था। ब्रिटिश काल में यहाँ राजा अहिबरन के वंशज राजा अनूपराय ने भी यहाँ शासन किया जिन्होंने अनूपशहर नामक शहर बसाया। जिले का क्षेत्रफल 4353 वर्ग किलोमीटर है।7 तहसील, 17 नगर पालिका/पंचायत, 16 ब्लाक, 1246 ग्राम ।

14- Gautam Buddhanagar :- गौतम बुद्ध नगर उत्तरी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के एक बड़े पैमाने पर उपनगरीय जिला है। इसे 06 सितंबर 1997 को गाजियाबाद और बुलंदशहर के कुछ हिस्सों को पृथक कर नया जिला बनाया गया। यहाँ पर ताज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। इस जिले में सिर्फ तीन तहसीलें – सदर, दादरी, जेवर हैं। यह शहर आज के समय वर्तमान उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में जाना जाता है।

 यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (भारत) का हिस्सा है। ग्रेटर नोएडा जिले के प्रशासनिक मुख्यालय है। जिले की जनगणना के अनुसार , पिछले एक दशक में 51.52 % की वृद्धि दर्ज की, भारत के सबसे तेजी से बढ़ते भागों में से एक है । इस जिले का क्षेत्रफल 1442 वर्ग किलोमीटर है।

15- Sambhal:- सम्भल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सम्भल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह संभल 28 सितंबर 2011 को तत्कालिक मुख्यमंत्री मायावती द्वारा इसका सृजन भीमनगर के नाम से किया गया था। बाद में जन असंतोष के चलते इसका नाम संभल कर दिया गया। संभल में कुल 03 तहसीलें संभल सदर, चंदौसी, गुन्नौर हैं। संभल जिले में कुल 993 गाँव हैं। लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। 


सतयुग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत था, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में सम्भल है। इसमे ६८ तीर्थ और १९ कूप हैं यहां एक अति विशाल प्राचीन मन्दिर है, इसके अतिरिक्त तीन मुख्य शिवलिंग है, पूर्व में चन्द्रशेखर, उत्तर में भुबनेश्वर और दक्षिण में सम्भलेश्वर हैं। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल चतुर्थी और पंचमी को यहाँ मेला लगता है इस जिले का क्षेत्रफल 2453 वर्ग किलोमीटर है।


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🔘*Hariyana*- 3 Districts

*फरीदाबाद संभाग*

16- Palwal:- पलवल ज़िला भारत के हरियाणा राज्य का एक ज़िला है। 


ज़िले का मुख्यालय पलवल है। सिटी पलवल को 'पालससुरु' नाम से एक दानव का नाम मिला, जिसने पांडवों के काल के दौरान इस स्थान पर शासन किया था। बलवारा, भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई द्वारा पलवासुर की हत्या हुई थी। उनकी स्मृति में, हर साल “बलदेव छाता का मेला” का त्यौहार पलवल में आयोजित किया जाता है।

17- Faridabad:- फरीदाबाद (Faridabad) भारत के हरियाणा राज्य के फरीदाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है।


 यह ज़िले का मुख्यालय है, भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का भाग है, और दिल्ली महानगर का एक महत्वपूर्ण उपनगर है। फ़रीदाबाद हरियाणा का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। हरियाणा में एकत्रित आयकर का 50% फ़रीदाबाद और गुड़गांव से होता है। फ़रीदाबाद कृषि क्षेत्र से मेंहदी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जबकि ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, स्विच गियर, रेफ्रिजरेटर, जूते, टायर और वस्त्र इसके प्राथमिक औद्योगिक उत्पाद हैं।

18- Nuh:- नूँह (Nuh) भारत के हरियाणा राज्य के मेवात ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। इस जिले में चार तहसील हैं: नूंह, फिरोजपुर झिरका, पुनाहना और तावडू।

 नूँह दिल्ली-अलवर मार्ग पर स्थित है तथा गुड़गाँव से लगभग 45 किलोमीटर और दिल्ली से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। इसकी समुद्रतल से औसत ऊँचाई 199 मीटर (652 फीट) है।


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🔘*Rajasthan*- 3 Districts 

*भरतपुर संभाग*

19- Bharatpur:- भरतपुर (Bharatpur) भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। लोहागढ़ दुर्ग भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है। भरतपुर के जाट वंश के कुंवर महाराजा सूरजमल ने 19 फरवरी 1733 ई. में इसका निर्माण कराया था। इस किले पर कई आक्रमण हुए हैं, लेकिन इसे कोई भी नहीं जीत पाया। यह भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग है। अतः इसको अजयगढ़ दुर्ग भी कहते हैं।


20- Dholpur:- धौलपुर (Dholpur) भारत के राजस्थान राज्य के धौलपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।



 धौलपुर चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है, जिसके पार मध्य प्रदेश राज्य आरम्भ होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २३ और राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ यहाँ से गुज़रते हैं। इस पर जाट राजाओ ने शासन किया । इसे 15 अप्रैल 1982 को तत्कालीन भरतपुर जिले से अलग कर बनाया गया था।

धौलपुर जिले का क्षेत्रफल 3084 वर्ग किमी है। छह तहसीलों, धौलपुर, बारी, राजाखेड़ा, बसेदी, सरमथुरा और सैपऊ में विभाजित किया गया है।

21- Karauli:- करौली (Karauli) भारत के राजस्थान राज्य के करौली ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह बृज क्षेत्र में स्थित है। करौली जिले के गठन के बाद, करौली, हिंडौनसिटी, सपोटरा, मंदरायल, टोडाभीम और नादोती नामक 6 तहसीलों को शामिल किया गया था। करौली जजशिप जिला मुख्यालय, करौली और अनुमंडल हिंडौनसिटी, टोडाभीम को मिलाकर बना है।


22- सवाईमाधोपुर:- सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक नगर है। यह सवाई माधोपुर ज़िले का मुख्यालय और एक लोकसभा निर्वाचनक्षेत्र भी है। यह प्रसिद्ध रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 9 किमी दूर है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान - उत्तरी भारत का सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान और रणथंभौर किला जिसे हाल ही में सूची में शामिल किया गया था। यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से, मुख्य आकर्षण है।




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🔘*Madhya Pradesh*- 5 Districts

*चंबल संभाग*

23- Bhind:-  भिंड (Bhind) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भिंड ज़िले में स्थित एक नगर है। भिंड जिले का क्षेत्रफल 4459 वर्ग किलोमीटर तथा 2001 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 14,28,559 है l जिले की आबादी राज्य की कुल आवादी का 2% है तथा जनसंख्या रैंकिंग में इसका 20 वां स्थान है । 2001 की जनगणना के अनुसार जिले का लिंगानुपात 829 है। ग्रामीण क्षेत्र का लिंगानुपात 825 है जबकि शहरी का 843 । लिंग अनुपात का आशय प्रति 1000 पुरुषों के विरुद्ध महिलाओं की संख्या है।

 यह ज़िले का मुख्यालय भी है। भिण्ड के गाँव के लोगो के रोज़गार का साधन कृषि है।

24- Morena:- मुरैना (Morena) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना ज़िले में स्थित एक नगर है। उत्तरी मध्य प्रदेश में स्थित मुरैना चंबल घाटी का प्रमुख जिला है। 

5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जिले से चंबल, कुंवारी, आसन और सांक नदियां बहती हैं। 815 गाँव, 8 तहसील, 24 पुलिस स्टेशन

25- Shyopur:- श्योपुर (Sheopur) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के श्योपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और छोटी लाइन की रेलवे द्वारा ग्वालियर से जुड़ा है। श्योपुर लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। चम्बल नदी यहाँ से केवल 25 किमी उत्तर में बहती है तथा राजस्थान और मध्य प्रदेश की राज्य-सीमा बनाती है। यहाँ पर सागौन के दरवाजे, खिड़की आदि बहुत ही खुबसूरत ढंग से बनाए जाते हैं। ज़िले में मुख्य रूप से चंबल, सीप और कुनो नदियाँ बहती हैं।





26- ग्वालियर संभाग (Gwalior jila):- ग्वालियर सन १९४८ से १९५६ तक मध्य भारत की राजधानी रहा  । 

शहर का नाम यहां स्थित समतल शिखरयुक्त पहाड को गोपाचल, गोपगिरि, गोप पर्वत या गोपाद्रि के नाम से जाना जाता था, पर पड़ा था। बाद में नाम अपभ्रंश होकर ग्वालियर शब्द का निर्माण हुआ है। 8 तहसील 6 नगर निगम /पालिका /परिषद, 41 पुलिस स्टेशन । क्षेत्र: 4560 वर्ग कि.मी., जनसंख्या: 2032036 ।




BrajPradesh Map|| ब्रजप्रदेश मानचित्र|| ब्रजप्रदेश नक्शा (भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर) ब्रजप्रदेश || BrajPradesh || Brajbhasha Region


साभार:- ओमप्रकाश शर्मा ब्रजवासी 


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Saturday, 27 August 2022

कान्हा की बाललीला ब्रजभाषा में

कन्हैया की एक सुन्दर बाललीला कौ प्रसंग:-

जसुमति मैया ने देखौ कै गाँम के अधिकाँश बालक गुरू जी ससौं शिक्षा ग्रहण करने जात हैं, चाहे अति अल्प समय के लिये ही सही, किन्तु प्रत्येक बालक जात अवश्य हैं गुरूशाला, फिर मेरौ ही कन्हैया चौं नाँय जात? मैया चिन्तित है गई, इतनौ बड़ा है गयौ अब मैं हु याय शिक्षा ग्रहण करबे के लैं भेजूँगी।

ऐसौ विचार कर मैया आँगन में ऊधम मचात भये कन्हैया कूँ पकड़ लाई और बोली: "लाड़ले सुत,शीघ्र ही स्नान आदि कर तत्पर है जा, आज मैं तोय पढ़ने बैठाऊँगी।" सहसा आई या स्थिति ते नटखट कन्हैया अचकचायगे।

विन्नै मैया ते पूछी: "मैया काह पढ़ायौ जामतौ है?"

मैया ने कही: "वेद-शास्त्र पढ़ाये जामत हैं, मेरे लाडले।"

कन्हैया बोले: "मैया ! वेद-शास्त्र पढ़ने ते काह हैमतौ है?"

मैया बोली: "तत्व-ज्ञान मिलतौ है।"

कन्हैया: "ये तत्व काह है, माँ?"

मैया: "परमात्मा ही तत्व है, लाडले।"

कन्हैया ने पुनः पूछी: "मैया, परमात्मा के तत्व कूँ जानवे ते काह होंतौ है?"

मैया ने हु पुनः उत्तर दियौ: "भगवान की भक्ति मिलतै।"

नटखट नन्हे कान्हा अबहु कहाँ चुप रहबे वारे हते, विन्नै तौ आज मानों प्रश्न पर प्रश्न पूछ कैं मैया ते ही सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करनौ है। वह पुनः बोले: "मैया, भक्ति ते कहा मिलैगौ?"

मैया ने कही: "भक्ति ते मुक्ति मिलतै , ईश्वर मिलतैं ।"

कन्हैया: "ईश्वर तौ मिलेगें मैया, जे सत्य है...किन्तु तू जे बता कै वा समय वहाँ तू और बाबा हु मिलंगे या नाँय और यह माखनचोरी हु करने कूँ मिलेगी या नाँय।"

मैया नै अपने लाडले लल्ला कूँ दुलारते, पुचकारते समझाते भये कही: "ओ मेरे प्राण प्रिय माखनचोर! वहाँ माखन की कोई कमी नाँय होगी, वहाँ तोय माखन चुरानौ ही नाँय पडेगौ।"

इतेक सुनते ही नटखट नन्हे कान्हा बिफर उठे, कमल सम नयनों में मोटे-मोटे आँसू झलक आये.....बिसूरत भये बोले: "मैया जहाँ तू नाँय, बाबा नाँय, ग्वालबाल नाँय, माखनचोरी नाँय वहाँ मैं चौं जाऊँ? चौं जाऊँ मैया.....मैं नाँय जाऊँगौ।"

और फिर प्रारम्भ है गईं गहरी गहरी सुबकियाँ व हिचकियाँ: "मैया, मोय नाँय लैनी ऐसी मुक्ति, ऐसी भक्ति....जहाँ सखान के संग माखनचोरी कौ आनन्द नाँय, वहाँ मैं चौं जाऊँ? काह करंगौ मैं वहाँ जाय कैं? नाँय जांगो कतई।"

मैया हतप्रभ ! हृदय में करूणा और वात्सल्य कौ सागर उमढ़बे लग्यौ: "हाय चौं मैं ऐसौ कर बैठी? मेरा लाड़लौ प्राण-धन....इतेक अश्रु अनवरत, मन में इतेक पीड़ा दै बैठी याय, मैया विचलित है गई। मैया के सबरे स्वप्न अपने प्राण-धन के अश्रुन के संग बहन लगे।"

इतकूँ नटखट कान्हा कौ रो-रो कैं बुरौ हाल

"चौं मैं वेद-शास्त्र पढ़ू, अपने मैया बाबा और ग्वाल सखान ते दूर हैबे के लैं"

द्रवित और अभिभूत मैया कूँ अतहिं प्रभावित कर, नटखट नन्हे कान्हा नै मैया की मॉंउ कारूणिक दृष्टि ते देख कैं अत्यधिक अबोध मासूम स्वर में मनुहार करत भये कही:

"मैया, बहुतहिं जोर की भूख लगी है नवनीत और दधि खाने को दै ना।"

विह्वल अधीर मैया ने अपने प्राण-प्रिय-निधनी के धन कूँ अपने में भींच लियौ। धन्य परात्पर प्रभु धन्य यशोदा मैया। 64 दिवस में 64 कलाओं में सिद्ध हस्त हो जाने वारे परमब्रह्म प्रभु की ऐसी वात्सल्यमयी बालसुलभ-लीला।


 ब्रजभाषा गीत:-

किशोरी इतनौ तौ कीजो, लाड़ली इतनौ तौ कीजो,

जग जंजाल छुड़ाय वास बरसाने कौ दीजो ।

भोर होत महलन में तिहारे सेवा में नित जाऊं,

मंगला के नित्त दर्शन पाऊं, जीवन सफल बनाऊं ।

किशोरी मोहे सेवा में लीजो, लाड़ली सेवा में लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ।

पड़ी रहूँ मैं द्वार तिहारे, रसिकन दर्शन पाऊं,

भगतन की पद धूलि मिले तौ अपने सीस चढाउँ ।

किशोरी मोहे द्वारे रख लीजो, लाड़ली द्वारे रख लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ॥

भूख लगे तौ ब्रजवासिन के टूक मांग के खाऊं,

कबहु प्रसादी श्री महलन की कृपा होए तौ पाऊं ।

किशोरी मेरी विनय मान लीजो, लाडली विनय मान लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ॥

राधे राधे रटूं निरंतर तेरे ही गुण गाऊं,

तेरे ही गुण गाय, गाय मैं तेरी ही होय जाऊं ।

किशोरी मोहे अपनी कर लीजो, लाड़ली अपनी कर लीजो ।


(ब्रजप्रदेश: ब्रजभाषा पढ़ो और दैनिक जीवन में थोड़ा लिखो भी )

 एक बेर की बात है कै...

 जशोदा मैया, प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनेन सौं तंग आ गयीं हतीं और छड़ी लैकैं श्री कृष्ण की मॉंउ दौड़ीं। जब प्रभु नै अपनी मैया कूँ क्रोध में देख्यौ तौ वे अपनौ बचाव करबे कैं मारें भागन लगे। भगते-भगते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे । कुम्हार तौ अपने मिट्टी के घड़े बनाबे में व्यस्त हतौ। लेकिन जैसे ही कुम्हार नै श्री कृष्ण कूँ देख्यौ तौ बू बहुत प्रसन्न भयौ। कुम्हार जानत हतो कै श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार ते कही कै कुम्हारजी !, आज मेरी मैया मो पै बहुत क्रोधित हैं। मैया छड़ी लै कैं मेरे पीछे आ रही है। भैया, मोय कहीं छुपा लेऔ।' तब कुम्हार नै श्री कृष्ण कूँ एक बड़ौ से मटका के नीचें छिपा दियौ। कुछ ही क्षणन में मैया यशोदा हु वहाँ आ गयीं और कुम्हार ते पूछन लगीं- 'क्यूँ रे कुम्हार ! तूने मेरे कन्हैया कूँ कहीं देखौ है, काह ?' कुम्हार  नै कही- 'नाँय तौ मैया ! मैंने कन्हैया कूँ नाँय देख्यौ।' श्री कृष्ण इन सब बातन नै घड़े के नीचे छुपकैं सुन रहे हते। मैया तो वहाँ ते चली गयीं। अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार ते कहमतैं- 'भैया कुम्हार , यदि मैया चली गयी होय तो मोय या घड़े ते बाहर निकाल।'

            

कुम्हार बोल्यौ- 'ऐसे नाँय, प्रभु जी ! पहले मोय चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देऔ।' भगवान मुस्कुराये और कही- 'ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनींन ते मुक्त करबे कौ वचन दैमतौ हूँ। अब तौ मोय बाहर निकाल देऔ।' कुम्हार कहमन लग्यौ- 'मोय अकेले नाँय, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सब लोगन नै हु चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देओगे तौ मैं आपकूँ या घड़ा ते बाहर निकालूँगौ।' प्रभु जी कहन लगे- 'चलो ठीक है, विन्नै हु चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त हैबे कौ मैं वचन दैमतौ हूँ। अब तौ मोय घड़े ते बाहर निकाल देऔ।' अब कुम्हार नै कही- 'बस, प्रभु जी ! एक विनती और है। बा कूँ हु पूरौ करबे कौ वचन दै देओ तौ मैं आपकूँ घड़े ते बाहर निकाल दूँगौ।' भगवान बोले- ' वा हु ऐ बता दै, काह कहनौ चाहमतौ है ?' कुम्हार कहमन लग्यौ- 'प्रभु जी ! जा घड़े के नीचे आप छुपे हो, बाकी मट्टी मेरे बैलन के ऊपर लाद के लायी गयी है। मेरे इन बैलन कूँ भहु चौरासी योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देऔ।' भगवान नै कुम्हार के प्रेम पै प्रसन्न है कैं बिन बैलन कूँ हु चौरासी के बन्धन ते मुक्त हैबे कौ वचन दियौ।' प्रभु बोले- 'अब तौ तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयीं होंय, तौ मोय घड़े ते बाहर निकाल देऔ।' तब कुम्हार कहमतौ है- 'अबही नाँय, भगवन ! बस, एक अन्तिम इच्छा और है। बा हु कूँ हु पूरौ कर देऔ और वो जे है- जो हु प्राणी हम दोनोंन के बीच के या संवाद कूँ सुननैगौ, बा कूँ हु आप चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करौगे। बस, यह वचन दै देऔ तौ मैं आपकूँ या घड़ा ते बाहर निकाल दूँगो।' कुम्हार की प्रेम भरी बातन कूँ सुन कैं प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश भये और कुम्हार की या इच्छा कूँ हु पूरौ  करबे कौ वचन दियौ। फिर कुम्हार नै बाल श्री कृष्ण कूँ घड़े ते बाहर निकालौ। बिनके चरणन में साष्टांग प्रणाम कियौ। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीयौ। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत कौ छिड़काव कियौ और प्रभु जी के गले लग कैं इतेक रोयौ कै प्रभु में ही विलीन है गयौ।       

जरा सोच कैं देखौ जी, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत कूँ अपनी किन्नी अंगुरिया पै उठा सकतैं, तौ काह वे एक घड़ा नाँय उठा सकते । " लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर" । कोई कितेक हु यज्ञ करै, अनुष्ठान करै, कितेक हु दान करै, चाहे कितनी हु भक्ति करै, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लैं प्रेम नाँय होयगौ, प्रभु श्री कृष्ण मिल नाँय सकत।

राधे राधे ॥ जय श्री कृष्णा


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या कथा कूँ जो हु पढ़ेगौ वाय 84 लाख योनींन ते मुक्ति मिल जायगी।।

( भगवान श्रीकृष्ण की मुँहबोली भाषा #ब्रजभाषा)

🦚 ब्रज के लाल की जय 🦚 

आज की अमावस्या(मावस) "जोगी लीला" के लैं प्रसिद्द है।


आज के दिना भगवान शंकर श्री कृष्ण के दर्शन के लैं पधारे हते। भोले भंडारी शिवजी इन साकार ब्रह्म के दर्शन के लैं आए हैं। यशोदा मैया कूँ पता चलौ कै कोई साधु द्वार पै भिक्षा लैबे के ताहि खड़े हैं। विन्नै दासी कूँ साधु कूँ फल दैबे की आज्ञा दई। दासी नै हाथ जोड़ कैं साधु कूँ भिक्षा लैबे व बाल कृष्ण कूँ आशीर्वाद दैबे कूँ कही।


शिवजी नै दासी ते कही कै, ‘मेरे गुरू नै मो ते कही है कै गोकुल में यशोदाजी के घर परमात्मा प्रकट भए हैं। या  मारें मैं बिनके दर्शन के ताहि आयौ हूँ। मोय लाला के दर्शन करने हैं।’ (ब्रज में शिशुओं को लाला कहमत हैं, व शैव साधून कूँ जोगी कहतैं)। दासी नै भीतर जाय कैं यशोदा मैया कूँ सबरी बात बतायी। यशोदाजी कूँ आश्चर्य भयौ। विन्नै बाहर झाँक कैं देख्यौ कै एक साधु खड़े हैं। विन्नै बाघाम्बर पहिनौ है, गले में सर्प है, मूड पै भव्य जटा है, हाथ में त्रिशूल है। यशोदा मैया नै साधु कूँ बारम्बार प्रणाम करत भए कही कै, ‘महाराज आप महान पुरुष लगतैं। काह आपकूँ जे भिक्षा कम लग रही है? आप माँगिये, मैं आपकूँ वही दउंगी पर मैं लाला कूँ बाहर नाँय लाऊँगी। अनेक मनौतियाँ मानी हैं तब वृद्धावस्था में जे पुत्र भयौ है। जे मोय प्राणन ते हु प्रिय है। आपके गले में सर्प है। लाला अति कोमल है, बू याय देखकैं डर जायगौ।’

जोगी वेषधारी शिवजी नै कही, ‘मैया, तुम्हारौ पुत्र देवन कौ देव है, वह काल कौ हु काल है और संतन कौ तौ सर्वस्व है। बू मोय देखकैं प्रसन्न होयगौ। माँ, मैं लाला के दर्शनन के बिना पानी हु नाँय पीऊँगौ। आपके आँगन में ही समाधि लगाकैं बैठ जाऊँगौ।’


शिवजी महाराज ध्यान करत भए तन्मय भए तब बालकृष्णलाल बिनके हृदय में पधारे और बालकृष्ण ने अपनी लीला करनौ शुरु कर दियौ। बालकृष्ण नै जोर-जोर ते रोबौ शुरु कर दियौ। माता यशोदा नै विन्नै दूध, फल, खिलौने आदि दै कैं चुप्प कराबे की बहुत चेष्टा करी पर वे चुप ही नाँय है रहे हते। एक गोपी नै मैया यशोदा ते कही कै आँगन में जो साधु बैठे हैं विन्नै ही लाला पै कोई मन्त्र फेर दियौ है। तब माता यशोदा जीन नै शांडिल्य ऋषि कूँ लाला की नजर उतारबे के लैं बुलाये। शांडिल्य ऋषि समझ गए कै भगवान शंकरही कृष्णजी के बाल स्वरूप के दर्शन के ताहि आए हैं। विन्नै मैया यशोदा ते कही, मैया! आँगन में जो साधु बैठे हैं, इन कौ लाला ते जन्म-जन्म कौ सम्बन्ध है। मैया विन्नै लाला के दर्शन करवाऔ।’ मैया यशोदा नै लाला कौ सुन्दर श्रृंगार कियौ, बालकृष्ण कूँ पीताम्बर पहिनायौ, लाला कूँ नजर नाँय लगै या मारें गले में बाघ के सुवर्ण जड़ित नाखून पहिनाये। साधू (जोगी) ते लाला कूँ एकटक देखबे ते मना कर दई कै कहीं लाला कूँ बिनकी नजर नाँय लग जाय। मैया यशोदा नै शिवजी कूँ भीतर बुलायौ। 


नन्दगाँव में नन्दभवन के अन्दर आज हु नंदीश्वर महादेव हैं। आज हु नन्दगाँव में नन्दभवन के बाहर 'आशेश्वर महादेव कौ मंदिर है जहां शिवजी श्रीकृष्ण के दर्शनन की आशा में बैठे हैं।


पद: - आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई

राग : आसावरी 

कर्ता : सूरदास

आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई ॥ ध्रु0 ॥

हाथ त्रिशूल दूजे कर डमरू, सिंगीनाद बजावै ।

जटा जूट में गंग बिराजै, गुन मुकुंदके गावै हो माई ॥ १ ॥

भुजंगकौ भूषण भस्मकौ लेपन, और सोहै रुण्डमाला ।

अर्द्धचंद्र ललाट बिराजै, ओढ़नकों मृगछाला ॥ २ ॥

संग सुंदरी परम मनोहर, वामभाग एक नारी ।

कहै हम आये काशीपुरीतें, वृषभ कियें असवारी ॥ ३ ॥

कहै यशोदा सुनौ सखीयौ, इन भीतर जिन लाऔ ।

जो मांगै सो दीजो इनकों, बालक मती दिखाऔ ॥ ४ ॥

अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ ।

हाथ फिरावन लाई यशोदा, अंतरपट दै आड़ौ ॥ ५ ॥

हाथ जोरि शिव स्तुति करत हैं, लालन बदन उघारयौ ।

सूरदास स्वामीके ऊपर, शंकर सर्वस वार्यौ ॥ ६ ॥


साभार:- ब्रजवासी 


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