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Saturday, 27 August 2022

कान्हा की बाललीला ब्रजभाषा में

कन्हैया की एक सुन्दर बाललीला कौ प्रसंग:-

जसुमति मैया ने देखौ कै गाँम के अधिकाँश बालक गुरू जी ससौं शिक्षा ग्रहण करने जात हैं, चाहे अति अल्प समय के लिये ही सही, किन्तु प्रत्येक बालक जात अवश्य हैं गुरूशाला, फिर मेरौ ही कन्हैया चौं नाँय जात? मैया चिन्तित है गई, इतनौ बड़ा है गयौ अब मैं हु याय शिक्षा ग्रहण करबे के लैं भेजूँगी।

ऐसौ विचार कर मैया आँगन में ऊधम मचात भये कन्हैया कूँ पकड़ लाई और बोली: "लाड़ले सुत,शीघ्र ही स्नान आदि कर तत्पर है जा, आज मैं तोय पढ़ने बैठाऊँगी।" सहसा आई या स्थिति ते नटखट कन्हैया अचकचायगे।

विन्नै मैया ते पूछी: "मैया काह पढ़ायौ जामतौ है?"

मैया ने कही: "वेद-शास्त्र पढ़ाये जामत हैं, मेरे लाडले।"

कन्हैया बोले: "मैया ! वेद-शास्त्र पढ़ने ते काह हैमतौ है?"

मैया बोली: "तत्व-ज्ञान मिलतौ है।"

कन्हैया: "ये तत्व काह है, माँ?"

मैया: "परमात्मा ही तत्व है, लाडले।"

कन्हैया ने पुनः पूछी: "मैया, परमात्मा के तत्व कूँ जानवे ते काह होंतौ है?"

मैया ने हु पुनः उत्तर दियौ: "भगवान की भक्ति मिलतै।"

नटखट नन्हे कान्हा अबहु कहाँ चुप रहबे वारे हते, विन्नै तौ आज मानों प्रश्न पर प्रश्न पूछ कैं मैया ते ही सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करनौ है। वह पुनः बोले: "मैया, भक्ति ते कहा मिलैगौ?"

मैया ने कही: "भक्ति ते मुक्ति मिलतै , ईश्वर मिलतैं ।"

कन्हैया: "ईश्वर तौ मिलेगें मैया, जे सत्य है...किन्तु तू जे बता कै वा समय वहाँ तू और बाबा हु मिलंगे या नाँय और यह माखनचोरी हु करने कूँ मिलेगी या नाँय।"

मैया नै अपने लाडले लल्ला कूँ दुलारते, पुचकारते समझाते भये कही: "ओ मेरे प्राण प्रिय माखनचोर! वहाँ माखन की कोई कमी नाँय होगी, वहाँ तोय माखन चुरानौ ही नाँय पडेगौ।"

इतेक सुनते ही नटखट नन्हे कान्हा बिफर उठे, कमल सम नयनों में मोटे-मोटे आँसू झलक आये.....बिसूरत भये बोले: "मैया जहाँ तू नाँय, बाबा नाँय, ग्वालबाल नाँय, माखनचोरी नाँय वहाँ मैं चौं जाऊँ? चौं जाऊँ मैया.....मैं नाँय जाऊँगौ।"

और फिर प्रारम्भ है गईं गहरी गहरी सुबकियाँ व हिचकियाँ: "मैया, मोय नाँय लैनी ऐसी मुक्ति, ऐसी भक्ति....जहाँ सखान के संग माखनचोरी कौ आनन्द नाँय, वहाँ मैं चौं जाऊँ? काह करंगौ मैं वहाँ जाय कैं? नाँय जांगो कतई।"

मैया हतप्रभ ! हृदय में करूणा और वात्सल्य कौ सागर उमढ़बे लग्यौ: "हाय चौं मैं ऐसौ कर बैठी? मेरा लाड़लौ प्राण-धन....इतेक अश्रु अनवरत, मन में इतेक पीड़ा दै बैठी याय, मैया विचलित है गई। मैया के सबरे स्वप्न अपने प्राण-धन के अश्रुन के संग बहन लगे।"

इतकूँ नटखट कान्हा कौ रो-रो कैं बुरौ हाल

"चौं मैं वेद-शास्त्र पढ़ू, अपने मैया बाबा और ग्वाल सखान ते दूर हैबे के लैं"

द्रवित और अभिभूत मैया कूँ अतहिं प्रभावित कर, नटखट नन्हे कान्हा नै मैया की मॉंउ कारूणिक दृष्टि ते देख कैं अत्यधिक अबोध मासूम स्वर में मनुहार करत भये कही:

"मैया, बहुतहिं जोर की भूख लगी है नवनीत और दधि खाने को दै ना।"

विह्वल अधीर मैया ने अपने प्राण-प्रिय-निधनी के धन कूँ अपने में भींच लियौ। धन्य परात्पर प्रभु धन्य यशोदा मैया। 64 दिवस में 64 कलाओं में सिद्ध हस्त हो जाने वारे परमब्रह्म प्रभु की ऐसी वात्सल्यमयी बालसुलभ-लीला।


 ब्रजभाषा गीत:-

किशोरी इतनौ तौ कीजो, लाड़ली इतनौ तौ कीजो,

जग जंजाल छुड़ाय वास बरसाने कौ दीजो ।

भोर होत महलन में तिहारे सेवा में नित जाऊं,

मंगला के नित्त दर्शन पाऊं, जीवन सफल बनाऊं ।

किशोरी मोहे सेवा में लीजो, लाड़ली सेवा में लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ।

पड़ी रहूँ मैं द्वार तिहारे, रसिकन दर्शन पाऊं,

भगतन की पद धूलि मिले तौ अपने सीस चढाउँ ।

किशोरी मोहे द्वारे रख लीजो, लाड़ली द्वारे रख लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ॥

भूख लगे तौ ब्रजवासिन के टूक मांग के खाऊं,

कबहु प्रसादी श्री महलन की कृपा होए तौ पाऊं ।

किशोरी मेरी विनय मान लीजो, लाडली विनय मान लीजो,

जग जंजाल छुड़ाए वास बरसाने कौ दीजो ॥

राधे राधे रटूं निरंतर तेरे ही गुण गाऊं,

तेरे ही गुण गाय, गाय मैं तेरी ही होय जाऊं ।

किशोरी मोहे अपनी कर लीजो, लाड़ली अपनी कर लीजो ।


(ब्रजप्रदेश: ब्रजभाषा पढ़ो और दैनिक जीवन में थोड़ा लिखो भी )

 एक बेर की बात है कै...

 जशोदा मैया, प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनेन सौं तंग आ गयीं हतीं और छड़ी लैकैं श्री कृष्ण की मॉंउ दौड़ीं। जब प्रभु नै अपनी मैया कूँ क्रोध में देख्यौ तौ वे अपनौ बचाव करबे कैं मारें भागन लगे। भगते-भगते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे । कुम्हार तौ अपने मिट्टी के घड़े बनाबे में व्यस्त हतौ। लेकिन जैसे ही कुम्हार नै श्री कृष्ण कूँ देख्यौ तौ बू बहुत प्रसन्न भयौ। कुम्हार जानत हतो कै श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार ते कही कै कुम्हारजी !, आज मेरी मैया मो पै बहुत क्रोधित हैं। मैया छड़ी लै कैं मेरे पीछे आ रही है। भैया, मोय कहीं छुपा लेऔ।' तब कुम्हार नै श्री कृष्ण कूँ एक बड़ौ से मटका के नीचें छिपा दियौ। कुछ ही क्षणन में मैया यशोदा हु वहाँ आ गयीं और कुम्हार ते पूछन लगीं- 'क्यूँ रे कुम्हार ! तूने मेरे कन्हैया कूँ कहीं देखौ है, काह ?' कुम्हार  नै कही- 'नाँय तौ मैया ! मैंने कन्हैया कूँ नाँय देख्यौ।' श्री कृष्ण इन सब बातन नै घड़े के नीचे छुपकैं सुन रहे हते। मैया तो वहाँ ते चली गयीं। अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार ते कहमतैं- 'भैया कुम्हार , यदि मैया चली गयी होय तो मोय या घड़े ते बाहर निकाल।'

            

कुम्हार बोल्यौ- 'ऐसे नाँय, प्रभु जी ! पहले मोय चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देऔ।' भगवान मुस्कुराये और कही- 'ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनींन ते मुक्त करबे कौ वचन दैमतौ हूँ। अब तौ मोय बाहर निकाल देऔ।' कुम्हार कहमन लग्यौ- 'मोय अकेले नाँय, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सब लोगन नै हु चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देओगे तौ मैं आपकूँ या घड़ा ते बाहर निकालूँगौ।' प्रभु जी कहन लगे- 'चलो ठीक है, विन्नै हु चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त हैबे कौ मैं वचन दैमतौ हूँ। अब तौ मोय घड़े ते बाहर निकाल देऔ।' अब कुम्हार नै कही- 'बस, प्रभु जी ! एक विनती और है। बा कूँ हु पूरौ करबे कौ वचन दै देओ तौ मैं आपकूँ घड़े ते बाहर निकाल दूँगौ।' भगवान बोले- ' वा हु ऐ बता दै, काह कहनौ चाहमतौ है ?' कुम्हार कहमन लग्यौ- 'प्रभु जी ! जा घड़े के नीचे आप छुपे हो, बाकी मट्टी मेरे बैलन के ऊपर लाद के लायी गयी है। मेरे इन बैलन कूँ भहु चौरासी योनींन के बन्धन ते मुक्त करबे कौ वचन देऔ।' भगवान नै कुम्हार के प्रेम पै प्रसन्न है कैं बिन बैलन कूँ हु चौरासी के बन्धन ते मुक्त हैबे कौ वचन दियौ।' प्रभु बोले- 'अब तौ तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयीं होंय, तौ मोय घड़े ते बाहर निकाल देऔ।' तब कुम्हार कहमतौ है- 'अबही नाँय, भगवन ! बस, एक अन्तिम इच्छा और है। बा हु कूँ हु पूरौ कर देऔ और वो जे है- जो हु प्राणी हम दोनोंन के बीच के या संवाद कूँ सुननैगौ, बा कूँ हु आप चौरासी लाख योनींन के बन्धन ते मुक्त करौगे। बस, यह वचन दै देऔ तौ मैं आपकूँ या घड़ा ते बाहर निकाल दूँगो।' कुम्हार की प्रेम भरी बातन कूँ सुन कैं प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश भये और कुम्हार की या इच्छा कूँ हु पूरौ  करबे कौ वचन दियौ। फिर कुम्हार नै बाल श्री कृष्ण कूँ घड़े ते बाहर निकालौ। बिनके चरणन में साष्टांग प्रणाम कियौ। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीयौ। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत कौ छिड़काव कियौ और प्रभु जी के गले लग कैं इतेक रोयौ कै प्रभु में ही विलीन है गयौ।       

जरा सोच कैं देखौ जी, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत कूँ अपनी किन्नी अंगुरिया पै उठा सकतैं, तौ काह वे एक घड़ा नाँय उठा सकते । " लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर" । कोई कितेक हु यज्ञ करै, अनुष्ठान करै, कितेक हु दान करै, चाहे कितनी हु भक्ति करै, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लैं प्रेम नाँय होयगौ, प्रभु श्री कृष्ण मिल नाँय सकत।

राधे राधे ॥ जय श्री कृष्णा


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या कथा कूँ जो हु पढ़ेगौ वाय 84 लाख योनींन ते मुक्ति मिल जायगी।।

( भगवान श्रीकृष्ण की मुँहबोली भाषा #ब्रजभाषा)

🦚 ब्रज के लाल की जय 🦚 

आज की अमावस्या(मावस) "जोगी लीला" के लैं प्रसिद्द है।


आज के दिना भगवान शंकर श्री कृष्ण के दर्शन के लैं पधारे हते। भोले भंडारी शिवजी इन साकार ब्रह्म के दर्शन के लैं आए हैं। यशोदा मैया कूँ पता चलौ कै कोई साधु द्वार पै भिक्षा लैबे के ताहि खड़े हैं। विन्नै दासी कूँ साधु कूँ फल दैबे की आज्ञा दई। दासी नै हाथ जोड़ कैं साधु कूँ भिक्षा लैबे व बाल कृष्ण कूँ आशीर्वाद दैबे कूँ कही।


शिवजी नै दासी ते कही कै, ‘मेरे गुरू नै मो ते कही है कै गोकुल में यशोदाजी के घर परमात्मा प्रकट भए हैं। या  मारें मैं बिनके दर्शन के ताहि आयौ हूँ। मोय लाला के दर्शन करने हैं।’ (ब्रज में शिशुओं को लाला कहमत हैं, व शैव साधून कूँ जोगी कहतैं)। दासी नै भीतर जाय कैं यशोदा मैया कूँ सबरी बात बतायी। यशोदाजी कूँ आश्चर्य भयौ। विन्नै बाहर झाँक कैं देख्यौ कै एक साधु खड़े हैं। विन्नै बाघाम्बर पहिनौ है, गले में सर्प है, मूड पै भव्य जटा है, हाथ में त्रिशूल है। यशोदा मैया नै साधु कूँ बारम्बार प्रणाम करत भए कही कै, ‘महाराज आप महान पुरुष लगतैं। काह आपकूँ जे भिक्षा कम लग रही है? आप माँगिये, मैं आपकूँ वही दउंगी पर मैं लाला कूँ बाहर नाँय लाऊँगी। अनेक मनौतियाँ मानी हैं तब वृद्धावस्था में जे पुत्र भयौ है। जे मोय प्राणन ते हु प्रिय है। आपके गले में सर्प है। लाला अति कोमल है, बू याय देखकैं डर जायगौ।’

जोगी वेषधारी शिवजी नै कही, ‘मैया, तुम्हारौ पुत्र देवन कौ देव है, वह काल कौ हु काल है और संतन कौ तौ सर्वस्व है। बू मोय देखकैं प्रसन्न होयगौ। माँ, मैं लाला के दर्शनन के बिना पानी हु नाँय पीऊँगौ। आपके आँगन में ही समाधि लगाकैं बैठ जाऊँगौ।’


शिवजी महाराज ध्यान करत भए तन्मय भए तब बालकृष्णलाल बिनके हृदय में पधारे और बालकृष्ण ने अपनी लीला करनौ शुरु कर दियौ। बालकृष्ण नै जोर-जोर ते रोबौ शुरु कर दियौ। माता यशोदा नै विन्नै दूध, फल, खिलौने आदि दै कैं चुप्प कराबे की बहुत चेष्टा करी पर वे चुप ही नाँय है रहे हते। एक गोपी नै मैया यशोदा ते कही कै आँगन में जो साधु बैठे हैं विन्नै ही लाला पै कोई मन्त्र फेर दियौ है। तब माता यशोदा जीन नै शांडिल्य ऋषि कूँ लाला की नजर उतारबे के लैं बुलाये। शांडिल्य ऋषि समझ गए कै भगवान शंकरही कृष्णजी के बाल स्वरूप के दर्शन के ताहि आए हैं। विन्नै मैया यशोदा ते कही, मैया! आँगन में जो साधु बैठे हैं, इन कौ लाला ते जन्म-जन्म कौ सम्बन्ध है। मैया विन्नै लाला के दर्शन करवाऔ।’ मैया यशोदा नै लाला कौ सुन्दर श्रृंगार कियौ, बालकृष्ण कूँ पीताम्बर पहिनायौ, लाला कूँ नजर नाँय लगै या मारें गले में बाघ के सुवर्ण जड़ित नाखून पहिनाये। साधू (जोगी) ते लाला कूँ एकटक देखबे ते मना कर दई कै कहीं लाला कूँ बिनकी नजर नाँय लग जाय। मैया यशोदा नै शिवजी कूँ भीतर बुलायौ। 


नन्दगाँव में नन्दभवन के अन्दर आज हु नंदीश्वर महादेव हैं। आज हु नन्दगाँव में नन्दभवन के बाहर 'आशेश्वर महादेव कौ मंदिर है जहां शिवजी श्रीकृष्ण के दर्शनन की आशा में बैठे हैं।


पद: - आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई

राग : आसावरी 

कर्ता : सूरदास

आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई ॥ ध्रु0 ॥

हाथ त्रिशूल दूजे कर डमरू, सिंगीनाद बजावै ।

जटा जूट में गंग बिराजै, गुन मुकुंदके गावै हो माई ॥ १ ॥

भुजंगकौ भूषण भस्मकौ लेपन, और सोहै रुण्डमाला ।

अर्द्धचंद्र ललाट बिराजै, ओढ़नकों मृगछाला ॥ २ ॥

संग सुंदरी परम मनोहर, वामभाग एक नारी ।

कहै हम आये काशीपुरीतें, वृषभ कियें असवारी ॥ ३ ॥

कहै यशोदा सुनौ सखीयौ, इन भीतर जिन लाऔ ।

जो मांगै सो दीजो इनकों, बालक मती दिखाऔ ॥ ४ ॥

अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ ।

हाथ फिरावन लाई यशोदा, अंतरपट दै आड़ौ ॥ ५ ॥

हाथ जोरि शिव स्तुति करत हैं, लालन बदन उघारयौ ।

सूरदास स्वामीके ऊपर, शंकर सर्वस वार्यौ ॥ ६ ॥


साभार:- ब्रजवासी 


ब्रजभाषा सीखिए

ब्रज के भोजन और मिठाइयां

ब्रजभूमि का सबसे बड़ा वन महर्षि 'सौभरि वन'

ब्रज मेट्रो रूट व घोषणा

ब्रजभाषा कोट्स 1

ब्रजभाषा कोट्स 2

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ब्रजभाषा ग्रीटिंग्स

ब्रजभाषा शब्दकोश

आऔ ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रज की संस्कृति कू बचामें

ब्रजभाषा लोकगीत व चुटकुले, ठट्ठे - हांसी


Sunday, 11 July 2021

ब्रज के भोजन व मिठाइयां

 

Anga Roti Recipe:अंगा भोज (ब्रज का मशहूर व्यंजन)

अंगा” Recipe के बारे में आपने सुना हो या नहीं, लेकिन ब्रजक्षेत्र में घरों में यह शाम को भोजन (Dinner) के रूप में बनाना आम बात है । इसका आकार गोल मोटी रोटी जैसा होता है और इसकी सिकाई उपलों के जलने से जो अंगारे बन जाते हैं, उन पे होती है । इसलिए इसका नाम अंगा पडा । सबसे पहले आटे में थोड़ा बेसन व मसाले डालकर गूँथते हैं फिर इसे डबल रोटी की तरह बेलकर उन उपलों के अंगारौं पे सेकते हैं ।मसालों के तौर पे आप इसमें अजवाइन, थोड़ा जीरा, नमक, हींग इत्यादि मिला लेते हैं ताकि ये खानें में स्वादिष्ट लगे ।कभी-कभी हम इसमें आलू की चटनी भरकर भी सेकते हैं ।
और बने हुए “अंगे” में जो डबल रोटी की तरह होता है उसमें छोटे-छोटे गड्ढे बनाकर घी अच्छे से डाल लेते हैं ।आप इसे अचार या हरी चटनी के साथ खा सकते हैं ।
पुराने समय में लोग इसे शाम के भोजन के साथ- साथ बचे हुए भोजन का, सुबह भी कलेऊ (नाश्ता) कर लिए करते थे।वैसे अब नई पीढी के बच्चों को कम रोचक लगता है, इस वजह से इसका चलन दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है।
मगर पुराने जमाने के लोगों को आज भी पहले की तरह अच्छा लगता है ।

गांव में तो इसके ऊपर कहावत भी है कि ” अरै आजकल तोय अंगा खूब झिककें मिलरे हैं” हिंदी अर्थ- अरे आजकल आपको खाने के लिए ठीक ठाक मिल रहा है ।

इसकी तुलना आप बिहार की डिश ‘लिट्टी चोखा’ से कर सकते हैं ।

अन्य भोजन

1-गूंजा- जे चून(आटा) ते बनबे बारी ऐसी मिठाई ऍह याके अंदर पंजीरी या खोवा (खोया ) भर कैं बनामतैं ।

2-मठरी (मट्ठी - जे हु आटे ते बनबे बारी सुखी खाबे की चीज ऍह जो सबेरे-सबेरे (धौंताय ) जलपान करबे के काम आमतै (बू ऊ चाय के संग) 

3-सकलपारे- सकलपारेन नै बनाबे कूँ गुड़ या चीनी के घोल ते आटौ गूँथ कैं फिर बा के बाद, नैक-नैकसे टुकड़ा बना कैं करैया(कढ़ाई ) में तल दैमतैं ।

4-सैमरी (सेवईयां )- आटे ते बनी पतरी-पतरी रेशेदार किनकी ।

5-महेरी- छाछ और जौ के दानेन ते बनी चीज जो सबेरे कलेऊ के काम आमतै ।

6-दरिया(दलिया)- गेहूं ते बनौ हलकौ भोजन जो सबेरे जलपान और बीमार लोगन के लें बड़ौ फायदेमंद है ।

7-अंगा- आटे ते टिक्की जैसे मोटे आकार में बनबे बारौ भोजन जो बरोसी (अंगीठी )में कोरन ते सेक कैं पका कैं बनबे बारौ भोजन 

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ब्रज में मिठाइयों का चलन:-

दालबाटी व चूरमा:- ब्रज का विशेष भोजन जो दालबाटी चूरमा के नाम से जाना जाता है, यह ब्रजवासियों का विशेष भोजन है। 


समारोह, उत्सवों, और सैर सपाटों एवं विशेष अवसरों पर यह भोजन तैयार किया जाता है और लोग इसका आनन्द लेते हैं। यह भोजन पूरी तरह से देशी घी में तैयार होता है। इसके अलावा मालपुआ, आदि भी बहुतायत में खाया जाता है।

पेड़ा:- ब्रज में मिठाईयों का बहुत महत्त्व है। ब्रज की सबसे प्रसिद्ध मिठाई पेड़ा है। ब्रज जैसा पेड़ा कहीं नहीं मिलता। ब्रज में मथुरा के पेड़े से अच्छे और स्वादिष्ट पेड़े दुनिया भर में कहीं भी नहीं मिलते हैं। 

आप यदि पारम्परिक तौर पर मथुरा के पेड़े का एक टुकड़ा भी चखते हैं तो कम-से-कम चार पेड़े से कम खाकर तो आप रह ही नहीं पायेंगे। ब्रज में ज़्यादातर व्यक्तियों की पसंदीदा चीज़ मिठाई होती है।

घेवर:- ब्रज में रक्षाबंधन पर घेवर और फैनी खाने खिलाने की परंपरा है। रक्षाबंधन पर बहनें राखी बांधने के बाद अपने भाइयों को घेवर खिलाती हैं।घेवर मूलत: ब्रज की ही मिठाई है और ब्रज क्षेत्र में ही इसका प्रचलन ज्यादा है। आगरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस और एटा तक घेवर खूब खाया जाता है, लेकिन इसके अलावा तो इसके दर्शन ही दुर्लभ हो जाते हैं। तीज का त्योहार भी घेवर के बिना अधूरा-सा लगता है । ब्रजवासियों का मिठाई खाने से पेट ही नहीं भरता। मौका कोई भी हो, मिठाई जरूर होनी चाहिए। अब घेवर को ही ले लो। किसी के यहां सावन में जाओ, तो स्वागत में घेवर ही खिलाया जा रहा है। लेकिन दुकानों पर यह केवल सावन-भादों में ही मिलता है।


पारंपरिक तौर पर घेवर मैदे और अरारोट के घोल विभिन्न सांचों में डालकर बनाया जाता है. फिर इसे चाशनी में डाला जाता है. वैसे समय के साथ इसमें बनाने के तरीके में तो नहीं, लेकिन सजाने में काफी एक्सपेरिमेंट्स हुए हैं. जिसमें मावा घेवर, मलाई घेवर और पनीर घेवर खास हैं । लोगों की पहली पसंद मावा-घेवर ही है । घेवर मैदे से बना मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देने वाला एक खस्ता और मीठा पकवान है. घेवर को इंग्लिश में हनीकॉम्ब डेटर्ट के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि घेवर राजस्थान का अविष्कार है । राजस्थान खानपान के मामले में बहुत ही अलग है ।

मालपुआ:-



साभार-  ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा

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साभार:- ब्रजवासी 


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ब्रज के भोजन और मिठाइयां

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Saturday, 10 July 2021

मसालों के नाम ब्रजभाषा में

 


मसालों के नाम हिन्दी और अंग्रेजी में – Name of Spices in Hindi and English

क्र.सं.नाम उच्‍चरण हिन्‍दी अर्थ 
1Asafetidaऐसाफैै‍टिडाहींग
2Aniseedएनीसीडसौंफ
3Alumएलमफिटकरी
4Black pepeerब्‍लैक पीपरकाली मिर्च
5Benjoinबेनजोइनलोबान
6Cassiaकैसियातेजपत्‍ता
7Catechuकेटैचूकथ्‍था
8Camphorकैम्‍फरकपूर
9Chilliचिल्‍लीलाला मिर्च
10Cardamumकार्डममइलाइची
11Cinnabarसिनेबारसिन्‍दूर
12Clovesक्‍लोब्‍जलौंग
13Corvay seedकौरवेसीडसोंआ
14Crotonutक्रोटोनटजमाल घोटा
15Cumin seedक्‍यूमिनसीडजीरौ
16Cinnamonसिनेमनदालचीनी
17Dry gingerड्राई जिंजरसोंठ
18Dry Fenugreekड्राई फेनुग्रीककसूरी मैंथी
19Fenu greek seedफेन्‍यूग्रीकसीडमैंथी
20Gingerजिंजरअदरक
21Hong plumsहॉगप्‍लम्‍सऑवरौ
22Lackलैकलाख
23Muskमस्‍ककस्‍तूरी
24Mudstardमस्‍टर्डसरसों, राई
25Poppy seedपोपीसीडपोस्‍ता
26Quince seedक्‍वीन्‍ससीडविहीदाना
27Red pepperरेड पीपरलाल मिर्च
28Rock saltरॉक साल्‍टसेंधौ नमक
29Saltसाल्‍टनमक/नौन
30Sandleसैंडलचन्‍दन
31Salt petreसाल्‍ट पीटरशोडा
32Salamoniacसालमोनियमनौसादर
33Sagoसैगोसाबुदाना
34Soapnutसोपनटरीठा
35Spice Blendस्पाइस ब्लैंडगरम मसालौ
36Tamarindटामारिन्‍डइमली
37Turmericटरमैरिकहल्‍दी/हर्द
38Vinegarविनेगरसिरका
39Yeastयीस्‍टखमीर
40Zedoary Turmericजिडोअरी टरमेरिकऑवला हल्‍दी

 

कीड़े मकोडॉ आदि के ब्रजभाषा में

 


Insects Name in Hindi and English]

  1. Ant – अंट – चैंटी
  2. Cricket – क्रिकेट – झींगुर
  3. Lizard – लिजार्ड – छापकली
  4. Boa – बोआ – अजगर
  5. Butterfly – बटरफ्लाई – तितली
  6. Fly- फ्लाई – माखी
  7. Wasp – वास्प – ततैया
  8. Bee- बी – मधुमक्खी
  9. Snake- स्नेक – सांप
  10. White ant – वाइट अंट – दीमक
  11. Bug- बग-खटमल
  12. Conch – कोंच – शंख
  13. Locust- लोयुकेस्ट – टिड्डी
  14. Louse- लाउस जूंआ
  15. Black bee- ब्लैक बी – भौंरा
  16. Tortoise – टोर्तिज़ – कछुआ
  17. Snail – स्नेल  – घोंघा
  18. Firefly – फायरफ्लाई – जुगनू
  19. Spider- स्पाईडर – माकड़ी
  20. Cobra – कोबरा – गेहुयन
  21. Scorpion – स्कोर्पियन – वीछू
  22. Gnat- जेंट – डंस
  23. Chameleon- कमिलियन – गिरगिट/करकेंटा

Tuesday, 21 January 2020

ब्रजमण्डल में मेट्रोन के आवे-जाबे की घोषणा ब्रजभाषा में कैसैं होयगी

                              Metro Map 


Mathura District Metro (BrajMandal)-


भविष्य में मथुरा में मेट्रो आबैगी तौ salutation और information की लिया-देइ या तरीका ते करी जाय करैगी ।
कोक़िलावन (कोसीकलां) ते बनकें चलबे वारी मेट्रो गोवर्धन/वृंदावन हैकैं मथुरा में घुसैगी और सूधी गोकुल हैमत भये दाऊजी कूँ निकर जाएगी । इन शहरन कूँ जाबे बारे यात्री आइकैं बैठ जाऔ । कोकिलावन के बाद पहलौ मैट्रो स्टेशन *नंदगाँव* पड़ैगौ , बरसाने बारे आदमी अगले स्टेशन की प्रतीक्षा करें । यात्रीगणन कृपया करकें आयगे की तरफ मौहड़ौ करकें खड़े है जाँय । अगलौ स्टेशन बरसाने कौ आ चुकौ है बसस्टैंड की ओर उत्तर जाएं । आयगे कौ डिब्बा नारीन के लैं आरक्षित है, लपका और लऊआन कूँ सख्त चेतावनी है कै वे वा डिब्बा में नाँय चढ़ै अन्यथा हाथ-पाँव तोड दिये जांगे । अगलौ स्टेशन *ग्राम पलसों धाम* है, दरवज्जे सती हरदेवी मंदिर की ओर खुलंगे, कृपया आराम ते उतरें । अगलौ स्टेशन गोवर्धन आबे वारौ है । मेट्रो में कोई धूम्रपान नाँय करें तौ अच्छौ रहबैगौ । लेऔ जी गोवर्धन रेलवे स्टेशन आ चुकौ है नीमगांव और गांव भरनाकलां/ सहार के आदमी यहाँ उतर सकतैं । अगलौ स्टेशन दानघाटी गोवर्धन है परिक्रमा बारे यही पै उतर जायँ तौ फायदा में रहंगे ।

 जे गाड़ी यहाँ ते सीधे वृन्दावन जाएगी । अगलौ स्टेशन चन्द्रोदय मन्दिर है, छटीकरा और चौमुहाँ के लैं फीडर बस कौ प्रयोग करें । अगलौ स्टेशन प्रेममन्दिर है, दर्शनार्थी दर्शन करबे कूँ यहाँ उतरें । अगलौ स्टेशन बिहारी जी मंदिर, यात्रिगण उतरबे में हड़बड़ी ना करें आराम ते उतरें और निश्चिंत रहें चौं कै आप ब्रजधाम में हौ । अगलौ गायत्री तपोभूमि मथुरा स्टेशन है, आकाशवाणी बारे यहीं उतर सकतैं । गाड़ी की दिशा में जाबे बारौ डिब्बा, लुगाइन के लैं घिरौ भयौ है , या डिब्बा में चढ़बे की कोशिश करबे बारौ, 'दंड कौ भागी' होयगौ । जे भूतेश्वर जंक्शन है जे गाड़ी नए बसड्डे ते हैं कैं जंक्शन की ओर जाएगी, 'कंकाली बारे' और गोवर्धन चैराहे बारे यहीं पै उतर जइयों । चौं कै यहाँ ते बैंगनी रंग की मेट्रो गोवर्धन कूँ कृष्णा नगर हैकैं जायगी ।
अगलौ स्टेशन कृष्णा नगर चौरायौ आबैगौ, वहाँ ते रामलीला मैदान बारे कृष्णा नगर बजार मांऊँ और राधानगर बारे, मोहन मिष्ठान मांऊँ जा सकें ।
 सावधान है जाओ दरवज्जे बन्द हैवे वारे हैं अगलौ स्टेशन मथुरा रेलवेजंक्शन है दिल्ली-आगरा जानौ होय तौ यहाँ ते ट्रैन लै कैं निकर लेओ ।  यहाँ ते टाउनशिप' जाबे बारेन कौ "यात्री किरायौ" आधौ कर दियौ है, म्हां जाबे बारे खूब लाभ उठाऔ ।
अगलौ स्टेशन *मथुरा कचहरी* जा काऊ कूँ केस-वेस सुल्टानौ होय तौ उतर लेओ । अगलौ स्टेशन टाऊनशिप, रिफायनरी वारे यहाँ पै उतरैं, जे गाड़ी गोकुल बैराज ते गोकुल कूँ जायगी चुप्प-सीना हाथ जोड़ कैं जमुना जी की ओर बैठ जाऔ और पइसा तौ अब तुम फेंक ही नाँय सकें चौं कै भिच्ची में आयगे हो चौं कै दरवज्जेन पै शीशा जड़े भये हैं, जे नाँय होंते तौ तुम धकाधक फेंके बिना मानते थोड़े ही। आबे वारौ गोकुल स्टेशन है दरवाजे सूधे हाथ माहुँ खुलंगे । अगलौ स्टेशन महावन है खीरमोहन मिठाई खाबे वारे यहाँ उतरें । अगलौ स्टेशन रमणरेती है ब्रज की रज में लोर मारबे कूँ व हाथीन द्वारा आरती देखबे कूँ यहाँ उतरें । अगलौ स्टेशन दाऊजीनगर है, जे पंडान की नगरी है, मिश्री कौ स्वाद यहाँ चखौ जा सकै है , ब्रजराज दाऊजी के दर्शन कूँ यहाँ उतरें । जे गाड़ी यहीं तक है फिर यहीं ते वापस कोकिलावन कूँ बनकें जायगी ।


Monday, 13 January 2020

ब्रजभाषा में पढ़ें मकरसंक्रांति व पोंगल त्यौहार के बारे में


या बार सूर्य कौ मकर राशि में गोचर हैनौ 15 जनवरी कूँ बतायौ जा रह्यौ है जाके मारें हिंदू पंचांग में या पर्व की तिथि 15 जनवरी दई गई है। उत्तर प्रदेश और बिहार के कछु क्षेत्रन में या त्योहार कूँ खिचड़ी (Khichdi ) के नाम ते जानौ जामतौ है। वैसैं जे त्यौहार हर वर्ष 14 जनवरी कूँ पड़तौ है । हिंदू त्योहारन की तारीख पंचांग देखकर ही निर्धारित करि जामतें । हिंदी और अंग्रेजी की दिनांकन में हमेशा अंतर रहमतौ है। या ही वजह ते हर साल आबे वारे त्योहारन कौ दिनांक हर बार अलग होमतौ है लेकिन तिथींन कौ क्षय है जानौ, तिथींन कौ घट-बढ़ जानौ, अधिक मास कौ पवित्र महीना आ जानौ परंतु मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही आबै है। परन्तु पिछले कछु समय ते याकी दिनांकन में हु अंतर आबे लगौ है। याकी शुरुआत 2015 ते भयी हती और मकर संक्रांति के दिनांक कूँ लै कैं वर्ष 2030 तक जेही असमंजस बनौ रहबैगौ। मकर संक्रांति हिन्दू धर्म कौ प्रमुख पर्व है । ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि ते मकर राशि में प्रवेश करतौ है ।सूर्य के एक राशि ते दूसरी राशि में प्रवेश करबे कूँ संक्रांति कहमतैं । मकर संक्राति के पर्व कूँ कहूँ-कहूँ उत्तरायणहु कह्यौ जामतौ है ।



मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करबे कौ विशेष महत्त्व है ।
मकर संक्रांति ते अग्नि तत्त्व की शुरुआत हैमतै और कर्क संक्रांति ते जल तत्त्व की । या दिन तिल कौ हर जगह काउ ना काउ रूप में प्रयोग हैमत ही है । तिल स्वास्थ्य के लैं हु बहौत गुणकारी है । मकर संक्रांति पै माघ मेले में प्रयागराज संगम पै भारी संख्‍या में साधु-संत व लोगन कौ नहान हौंतौ है । आज के दिना सूर्य के बीज मंत्र कौ जाप करैं, मंत्र ऐसैं होयगौ - "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" ।


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 पोंगल दक्षिण भारत कौ बड़ौ फसलन कौ त्योहार है। तमिलनाडु में याय 'ताई पोंगल' के नाम ते हु जानौ जामतौ है। जे हर वर्ष 14 जनवरी कूँ ही मनायौ जामतौ है। पोंगल पै अरवा चावल, सांभर, मूंग की दाल, तोरम, नारियल, अबयल जैसे पारंपरिक व्यजन बनाए जामतें। या पर्व कौ व्यंजन 'चाकारी पोंगल' है, जाय दूध में चावल, गुड़ और बांग्ला चना कूँ उबालकैं बनायौ जामतौ है।



 जे त्योहार चार दिन तक चलतौ है। या में 'भोगी पोंगल' 15 जनवरी कूँ, 'थाई पोंगल' 16 जनवरी कूँ, 'मट्टू पोंगल' 17 जनवरी कूँ और 'कान्नुम पोंगल'  18 जनवरी कूँ मनाया जाय करै है।

Sunday, 12 January 2020

Most Frequent Sentences Used in Brajbhasha


















साभार:- ब्रजवासी 


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